तुम रखा करते हो अक्सर,जिनके सर सोने का ताज
कह रहा है मुल्क उनका सर कुचलना चाहिए ।
हो जिन्हें अब फिक्र अपनी औ ' वतन के शान की
सोनेवाले उन सभी को जाग उठाना चाहिए ।
दिल में हो ईमान ,बाजू में हो लोहे की खनक
ऐसे ही रहवर के सर पर ताज रखना चाहिए ।
जिनके आगे तुम खड़े हो सर झुकाए , कांपते
उनका सर , फांसी के फंदे पर लटकाना चाहिए ।
आज जिनके सर की कीमत सिर्फ़ कौडी भर बची
उनके आगे अब कभी ये सर न झुकना चाहिए ।
इक तरफ़ हो घुप अँधेरा इक तरफ़ दरिया- ए- नूर
अब वतन में ये तमाशा बंद होना चाहिए ।
---- अरविंद पाण्डेय