ज्ञान का प्रकाश हो,
चित्त का विकास हो ।
दैवी- संपत्ति का
मानव में वास हो ।
स्वाभिमान से सबका
मस्तक उन्नत रहे ।
मन में सात्विक सुख की
धारा बहती रहे ।
द्वेष ना किसी में हो,
प्रेमपूर्ण जन जन हो
मानवता-सेवा में,
अर्पित यह तन- मन हो ।
सत्य -दीप जन जन में,
प्रतिपल जला करे
ईश्वर, मानवता का
सदा ही भला करे।
----अरविंद पाण्डेय