अकेले वो पडा करता है जो कमज़ोर होता है.
ये जो कमज़ोर,वो लड़की या फिर लड़का नहीं होता.
हमारे मुल्क में ही हैं करोड़ों लडकियां ऐसी .
कि जिनके सामने ''लड़का'' हो पर,''लड़का'' नहीं होता.
हरिक लड़की, अगर ताकत है, फिर देवी सी दिखती है.
अगर ''औरत'' का हो कुछ फख्र,फिर,तकदीर लिखती है.
हरिक चौराह पर लडके उसी का ज़िक्र करते हैं.
हरिक महफ़िल में बस उसकी हसीं तस्वीर सजती है.
हरिक महफ़िल में बस उसकी हँसीं तस्वीर सजती है.
जवाब देंहटाएंnice poem
http://shayaridays.blogspot.com
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी रचना हैं , हरिक ''लड़का'' देवता समान और हरिक "लड़कियाँ" देवी समान होती हैं ...धन्य हैं आपकी यह कविता !!!!!!
जवाब देंहटाएंसशक्त पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंआज तो "देवी के प्रसाद "सी लग रही है आप की कविता ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर विचार ..और सुंदर लेखन ...!!
I request you to please visit my blog and leave your honest opinion .
जवाब देंहटाएंthank you.
http://anupamassukrity.blogspot.com/2011/06/blog-post.html#links
उम्दा पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंaapke ye lekhh sachmuch adutiyeee hai...!!! dhany hai aaap aur ye bhihar ki dhrti...!!!
जवाब देंहटाएंअकेले वो पडा करता है जो कमज़ोर होता है...
जवाब देंहटाएंअद्भुत .... अभी इसकी सख्त जरूरत थी मुझे ...
धन्यवाद ...
blog par comment karne k liye bahut bahut dhanyavad apke dwara likhi gayi rachna bahut khoobsurat lagi.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति...
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