रविवार, 20 दिसंबर 2009

रामायण ,गीता का नियमित पारायण




एक शोध के अनुसार, कविता का नियमित अध्ययन और  संभव  हो  तो काव्य - रचना  , मस्तिष्क की स्मृति संबंधी कोशिकाओं को सशक्त करता है.. और ऐसा करने से वृद्धावस्था तक स्मृति शक्ति तीव्र बनी रहती है ..इसीलिये भारतीय संस्कृति में रामायण , गीता आदि के नियमित पारायण की व्यवस्था की गई है.. ..यह पारायण, अर्थ ज्ञान के साथ करने का विधान है ..सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रसूलल्लाह ने भी फरमाया है कि चाहे एक ही आयत पढ़ने में रातभर का वक्त लग जाय पर मतलब समझते हुए कुरआन शरीफ की तिलावत करनी चाहिए ..

----अरविंद पाण्डेय

बुधवार, 16 दिसंबर 2009

ख़ाक न हो खाकी की इज्ज़त पियो न खादी की हाला .




ख़ाक न हो खाकी की इज्ज़त
पियो न खादी की हाला .

मित्र न समझो पद,कुर्सी को..
मनमोहक साकी-बाला..

देश-भक्ति जब बने सुरा ,औ '
देश बने जब मदिरालय ..

खाकी ,खादी को तब मधु से ..
तृप्त करेगी मधुशाला

----अरविंद पाण्डेय

सोमवार, 14 दिसंबर 2009

कुछ करो, आखिर तो तुम भी इस ज़मीं के हो सपूत


कुछ करो, आखिर तो तुम भी इस ज़मीं के हो सपूत ..
अब तो भारत-वर्ष की किस्मत संवरनी चाहिए ..


----अरविंद पाण्डेय

शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

मूलतः कुरान भी सभी धर्मों को ईश्वर-कृत ही मानता है...


विश्व के समस्त धर्म, हिन्दू धर्म -- सनातन धर्म की शाखाएँ हैं.
विश्व के सभी लोग मानते है कि ऋग्वेद दुनिया का प्रथम लिखित ग्रन्थ है ..
कुरान में ईश्वर कहते है कि मोहम्मद के पहले जितने देवदूत आये वे सब ईश्वर का ही कार्य करके गए ..

मूलतः कुरान भी सभी धर्मों को ईश्वर-कृत ही मानता है .....
कुरान , सभी धर्मों के देवदूतों को सम्मान देने का आदेश मुसलमानों को देता है ...
किन्तु इस्लाम के नाम पर राजनीति और शासन करने वालों ने इस्लाम का प्रयोग अपने तरीके से किया...

इस्लाम , मूलतः विश्व शान्ति की रक्षा का धर्म है...
आज ईसाई माना जाने वाला अमरीका सारी दुनिया को नष्ट करने लायक हथियार बना चुका है ...
मगर इसका सम्बन्ध ,उसके राष्ट्रपतियों के ईसाई होने से बिलकुल नहीं है है

----अरविंद पाण्डेय