हरिः ॐ तत्सत् महाभटचक्रवर्तीरामदूताय नमः
श्री हनुमान जी महाराज को गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में स्तुति करते हुए लिखा है :
दनुजवनकृषानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं
श्री हनुमान् जी महाराज को ज्ञानिनामग्रगण्यं क्यों कहा गया - यह जानने के लिए प्रत्येक श्रद्धालु को श्री वाल्मीकि कृत रामायण का सुन्दरकाण्ड अवश्य पढ़ना चाहिए ।
आज श्री हनुमान् जयन्ती है । श्री हनुमान् जी महाराज को प्रणमन
और आप सभी को
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