रविवार, 21 जून 2015
Dil Ko Na Mere Tadpao cover by Arvind Pandey
गुरुवार, 14 मई 2015
तांस्तथैव भजाम्यहम
ईश्वर सदा अपने ऊपर अखंड विश्वास रखने वाले की इच्छा पर ही प्रकट होते हैं............ प्रहलाद जी ने कह दिया खम्भे में भी हैं, तो वे खम्भे से ही प्रकट हो गए.....
.............. जिसे ईश्वर पर विश्वास नहीं है या जो ईश्वर की सत्ता का निषेध करता है उसे विश्वास दिलाने के लिए ईश्वर प्रकट नहीं होने वाले.............
.............. जिसे ईश्वर पर विश्वास नहीं है या जो ईश्वर की सत्ता का निषेध करता है उसे विश्वास दिलाने के लिए ईश्वर प्रकट नहीं होने वाले.............
बुधवार, 13 मई 2015
''साहब'' लोग थोड़ा ''सहज'' हो जाइए
ईश्वरीय-सन्देश का भयावह स्वरुप :
अपना जीवन कितना मूल्यवान लगता है ,,,,,,,,,,,,,,,,, अपना जीवन बचाने के लिए एक ही पल में कुर्सी छोड़-छोड़ कर बड़े लोग उसी तरह खुले आसमान के नीचे आ गए जैसे राजकुमार सिद्धार्थ एक ही पल में अपना साम्राज्य छोड़ कर खुले आकाश के नीचे चले गए थे......................
..................... अगर इसी तरह आम नागरिकों के जीवन को बचाने के लिए भी लोग एक पल में ही कुर्सी छोड़ने को तैयार रहें तो भूदेवी भूकंप से पीड़ित ही नहीं होगीं.............
.................. मगर लोगों द्वारा, कुर्सी को पाने और उस पर बैठे रहने के लिए के लिए कुर्सी के लिए बनायी गयी सारी आचार-संहिताएँ अपने लोभ-कंप और अहंकार-कंप से उसी रहा ध्वस्त कर दी जाती हैं जैसे भूकम्पों से भूदेवी के वक्ष पर निर्मित अट्टालिकाएं ध्वस्त हो जाती हैं .............
...................... हज़ारों युवा वृक्षों को यही कुर्सी छोड़ कर भागनेवाले लोग अपने पर्यावरण-विरोधी चित्त-दोष के कारण क़त्ल कर देने का हुक्म देते है............. सारे देश में वृक्षों का क्रूर कत्ले-आम देखा जा सकता है..........
................ तो अब कुर्सी छोड़ के भागते क्यों हैं साहब ,, इसलिए कि आपका जीवन खतरे में दिख रहा था.............
...................आप ईश्वर को नहीं मानते हैं न,,, ठीक है,,,, तो ये समझिये कि प्रकृति के समक्ष आम लोगो के जीवन का भी वही मूल्य है जो आपके जीवन का है....... आम लोगो के लिए अस्पताल, स्कूल , और रहने का घर, सांस लेने के लिए शुद्ध हवा तो दीजिये ............
........................अपने और आम लोगों के जीवन में इतना बड़ा फर्क न कीजिये साहब.............
............. अभी भी समय है............ वृक्षों का क्रूर कत्लेआम रोकने, पारिस्थितिकी और पर्यावरण की रक्षा आम लोगो को स्वास्थ्य, शिक्षा और सुजीवन देने के लिए कुर्सी की ताकत का प्रयोग कीजिये.............
''साहब'' लोग थोड़ा ''सहज'' हो जाइए ,,, सब ठीक हो जाएगा........
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भूकंप 2015 Earthquake
रविवार, 26 अप्रैल 2015
पृथिवी शान्तिः
भूकंप सदृश संकट में निर्भय-चित्त और अक्षत-विवेक बने रहने से आप उस संकट से बचने में और दूसरों को बचाने में सफल होंगें .......
.............. इसलिए चित्त और अभिव्यक्ति के स्तर पर निर्भय बनें रहें और स्वयं को तथा अन्य संकटग्रस्त लोगों को बचाने हेतु भौतिक, संकल्पात्मक,बौद्धिक, मानसिक, आध्यात्मिक प्रयास करते रहें ............
............. अपने निजी स्वार्थ में पर्यावरणीय और पारिस्थितिकीय असंतुलन पैदा करने वाले लोगों पर इस संकट का सीधा प्रभाव नहीं पड़ रहा है वे बचकर भी निश्चिन्त न रहें............
............... उन्हें भी उनकी नियति ले जायेगी उस गर्त में जहां गिर कर वे अपने द्वारा किये गए प्राकृतिक अपराधों के प्रति पश्चात्ताप करेंगें .........
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