सोमवार, 27 जनवरी 2014

गण-तन्त्र सदा ही विजय करे.



गौरव से मस्तक उन्नत हो,
श्रद्धा से किन्तु सदा नत हो.

करुणा से हृदय प्रकाशित हो.
शुभ,शील,सत्य से प्रमुदित हो.

जन-गण में नव-उत्साह भरे.
गण-तन्त्र सदा ही विजय करे.
-- अरविन्द पाण्डेय 

गण-तंत्र दिवस की शुभ कामनाएं !!

अरविंद पाण्डेय
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बुधवार, 15 जनवरी 2014

कवि कुमार विश्वास के लिए एक कविता



कवि कुमार विश्वास के नाम एक कविता 




जब अनियंत्रित हो नदी,शिखर से बहती है.
फिर, कैसे बची रहेगी कलुषित धारों से .
निर्बंध महत्त्वाकांक्षा यदि उच्छल होगी ,
फिर 'आप' बचेंगें कैसे हेय विचारों से.

तब, जुबां बंद हो जायेगी उन मुद्दों पर,
जो भारत के जन-जन को विचलित करते है.
तुम विवश रहोगे और कहोगे फर्जी था 
जब वीर हमारे मुठभेड़ों में मरते हैं.

गर , कुर्सी की लपटों से कुछ ईमान बचा,
तो करो समर्थन अफ़ज़ल गुरु की फांसी का. 
गर, सच को सच कहने की ताकत नहीं बची,
फिर, नाम न लो कविता में झांसी रानी का .

अरविन्द पाण्डेय 

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सोमवार, 18 नवंबर 2013

और वो कंधा आज भी खून से लथपथ है.




कुछ लोग यहाँ ऐसे हैं जो इंसान को मारने के लिए
उसे क्रिकेट की गेंद की तरह आसमान पे उछालते हैं.

कुछ लोग यहाँ ऐसे हैं जो आसमान से गिरते हुए 
उस इंसान को अपने कन्धों पे अस्पताल पहुंचाते हैं. 

कुछ लोग यहाँ ऐसे हैं जो गेंद की तरह उछाले जाते हुए
और अस्पताल में पड़े हुए उस इंसान को मुद्दा बनाते हैं.

कुछ लोग यहाँ ऐसे हैं जो इन दोनों तरह के इंसानों पर
फ़िल्में बनाकर पुरस्कार लेते हैं और करोड़ों कमाते हैं.

कोई मैदान में गेंद से खेलकर इन्सान को नचाता है .
कोई मैदान में अपनी जान पे खेलकर इंसान को बचाता है.

किसी के हाँथ में बैट और तमगे हैं,
किसी की जुबान पे सिसकती हुई शपथ है. 

मगर, वो इंसान आज भी अस्पताल में है 
और वो कंधा आज भी खून से लथपथ है. 


..............पटना के एस एस पी श्री मनु महाराज के उन अंगरक्षकों में से एक है मृत्युंजय यादव जो गांधी मैदान में हुए विस्फोट के उन साक्षियों में से हैं जिनके सामने तीन इंसान बम-विस्फोट के बाद ज़मीन से ऊपर की और उड़ गए जैसे फिल्मों में दिखाया जाता है.... और उस वक्त भी पटना के पुलिस प्रमुख के साथ साथ उनके सारे अंगरक्षक वहां से हिले तक नहीं......वहां उपस्थित जन-समुदाय पुलिस वर्दी देखकर आक्रोशित हो उठा था किन्तु एस एस पी मनु महाराज और उन चार पुलिस के जवानों को अपनी चिंता नहीं थी ....वे चिंतित थे कि विस्फोट में घायल लोगों को तुरंत अस्पताल कैसे पहुचाया जाय ....ऐसे वक्त जब भीड़ उनके ऊपर घातक हिंसक हमला कर सकती थी तब भी उन्होंने घायलों को अपने कंधे पर उठाया और अस्पताल पहुचाया....
इन्हें किस पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाय..........ये जन-समुदाय निर्णय करे .......
.........इस फोटो में मृत्युंजय यादव गांधी मैदान के एक घायल को कंधे पे उठाये हुए अस्पताल की और बढ़ रहे हैं..........वहां उपस्थित बिहार के लोगों ने अद्भुत संयम दिखाया...घटना के बाद पुलिस के प्रति आक्रोश स्वाभाविक था फिर भी वहा शान्ति सुरक्षित रही.. धन्य है बिहार-भूमि और यहाँ के निवासी .......


..पटना पुलिस के जवान मृत्युंजय यादव को समर्पित...

अरविंद पाण्डेय

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रविवार, 3 नवंबर 2013

आओ, उन्हीं के नाम दिया पांच जलाएं.






दहशत के पटाखों में जो शहीद हो गए.
हाफ़िज़ की बेरुखी के जो शिकार हैं हुए.
आओ, उन्हीं के नाम दिया पांच जलाएं.
पुरअम्न-ओ-पुरअश्क़ दिवाली ये मनाएं.

अरविंद पाण्डेय
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