ये कुरबतें ये दूरियां तो दिल की जानिब हैं
दिल है करीब तो करीब , दूर है तो दूर ,
दिल में तेरे जो बात मेरी याद से उठे
तू समझना मैंने करीब होके कुछ कहा
गर ,सामने महका हुआ इक गुल दिखाई दे
तू समझना वो महक मेरे दिल से उठी है
गर , मनचला सा कोई झकोरा हवा का हो
तू समझना बेताब मेरा दिल मचल उठा
गर, आसमां में चाँद , कुछ शर्मा के खिला हो ,
तू समझना मैंने तुझे चुपके से छुआ है
जब तू नही हो पास तो कुछ और पास से ,
दिल , दिल से मरासिम हो -यही मेरी दुआ है
----अरविंद पाण्डेय
दिल है करीब तो करीब , दूर है तो दूर ,
दिल में तेरे जो बात मेरी याद से उठे
तू समझना मैंने करीब होके कुछ कहा
गर ,सामने महका हुआ इक गुल दिखाई दे
तू समझना वो महक मेरे दिल से उठी है
गर , मनचला सा कोई झकोरा हवा का हो
तू समझना बेताब मेरा दिल मचल उठा
गर, आसमां में चाँद , कुछ शर्मा के खिला हो ,
तू समझना मैंने तुझे चुपके से छुआ है
जब तू नही हो पास तो कुछ और पास से ,
दिल , दिल से मरासिम हो -यही मेरी दुआ है
----अरविंद पाण्डेय