कब तलक जीतोगे तुम , हारेगा जब हिन्दोस्तां,
अब तो पौरुष की प्रबल ज्वाला भडकनी चाहिए।
कल तलक जो भीड़ के सिरमौर बनकर थे खड़े ,
अब भी अखबारों में वो तस्वीर दिखनी चाहिए ।
दिव्य भारत भूमि की जिस कोख ने हमको जना,
कुछ करो - उस कोख की तो लाज बचनी चाहिए ।
जिस ज़मीं का जल, रगों में खून बन कर बह रहा ,
उस ज़मी की, खाक में, इज्ज़त न मिलनी चाहिए ।
जो वतन की रहजनी के ख़ुद ही जिम्मेदार हैं ,
उनके ऊपर सुर्ख आँखें, अब तो, तननी चाहिए ।
जो शहीदों की शहादत का करें सौदा कभी,
उनके आगे अब कभी आँखें न झुकनी चाहिए ।
आज जो खामोश हैं वो कल भरेंगें सिसकियाँ ,
इसलिए, हर शख्स की बाहें फडकनी चाहिए।
बात जो हिंदुत्व की , इस्लाम की , करते बड़ी
उनके पाखंडी जेहन की पोल खुलनी चाहिए ।
शक्ल इंसानी , मगर दिल है किसी शैतान का
उन रुखों की असलियत, दुनिया को दिखनी चाहिए ।
बह गया पौरुष सभी देवों का फ़िर से एक बार ,
अब , ज़मीं पर फ़िर कोई दुर्गा उतरनी चाहिए ।
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मुझे याद आ रहा है कारगिल युद्ध --जब कारगिल
के कातिलोंको , देशभक्त होने का दावा करने वालों
ने , बहत्तर घंटे तक , भाग जाने का खुला
रास्ता देकर , कारगिल के पाँच सौ से अधिक
शहीदों की शहादत का अपमान किया था --
मुझे याद आ रहा है वह दिन, जब एक
अरब की जनसंख्या वाल्रे इस देश के
रहनुमाओं ने कंधार , जाकर देश पर हमला
कराने और करने वालो को मुक्त किया था ।
वही लोग दाउद को सौपने की मांग कर रहे हैं ।
मगर , क्याये नेता इस बात की गारंटी देंगें
कि ये फ़िर दाउद को लाहौर या कंदहार
जाकर नही छोड़ आयेंगे ? भारत के वे
सभी वाक्पटु और टी.वी. स्टार के रूप में
पहचाने जाने नेता
टी.वी. के परदे से गायब हैं ।
आतंकवादियों के साहस और शौर्य से हतप्रभ
ये लोग शायद ख़ुद के बारे में ज़्यादा
सोच रहे है कि कौन सी राजनीति करे
कि हम भारत के लोग , इनसे वह सवाल
करना भूल जाय
जो अभी एकस्वर से कर रहे हैं ।
पर ये सभी जान रहें हैं कि युद्ध अभी कुछ
देर के लिए ही
रुका या रोका गया है ।
इसलिए शायद इन्हें यह सद्बुद्धि आए कि ये लोग
वह सब करने से बचेंगें जो करने की
इनकी आदत रही है ।
शहीद हेमंत करकरे की पत्नी और शहीद संदीप
उन्नीकृष्णन के पिताने देश को बताया है
कि अपनी कुर्सी के लिए देश के मूल्यों
की ह्त्या करने वालों को अगर दंड नही दे सकते
तो उनसे न मिलकर, ये बता सकते हैं कि आप
किसी शहीद को सम्मानित करने के योग्य नही ।
हिंदुत्व का पुरोधा होने का दावा , दिखावा करने
वाले नरेंद्र मोदी को यह भी नही मालूम
कि किसी हिंदू के घर , अकाल मृत्यु
होने पर , उस दुर्घटना में विधवा हुई स्त्री के
पास एक करोड़ रूपया लेकर जाना और तब
उसे सांत्वना देना शास्त्र-विरुद्ध
आचरण है ।
मगर यह सब हो रहा है । तो आइये एक नए भारत
निर्माणके लिए कुछ नया चिंतन करे ।
नया सृजन करें ।
शुद्ध और सशक्त विचारों से एक नया रास्ता बनाए ।
---- अरविंद पाण्डेय
अब तो पौरुष की प्रबल ज्वाला भडकनी चाहिए।
कल तलक जो भीड़ के सिरमौर बनकर थे खड़े ,
अब भी अखबारों में वो तस्वीर दिखनी चाहिए ।
दिव्य भारत भूमि की जिस कोख ने हमको जना,
कुछ करो - उस कोख की तो लाज बचनी चाहिए ।
जिस ज़मीं का जल, रगों में खून बन कर बह रहा ,
उस ज़मी की, खाक में, इज्ज़त न मिलनी चाहिए ।
जो वतन की रहजनी के ख़ुद ही जिम्मेदार हैं ,
उनके ऊपर सुर्ख आँखें, अब तो, तननी चाहिए ।
जो शहीदों की शहादत का करें सौदा कभी,
उनके आगे अब कभी आँखें न झुकनी चाहिए ।
आज जो खामोश हैं वो कल भरेंगें सिसकियाँ ,
इसलिए, हर शख्स की बाहें फडकनी चाहिए।
बात जो हिंदुत्व की , इस्लाम की , करते बड़ी
उनके पाखंडी जेहन की पोल खुलनी चाहिए ।
शक्ल इंसानी , मगर दिल है किसी शैतान का
उन रुखों की असलियत, दुनिया को दिखनी चाहिए ।
बह गया पौरुष सभी देवों का फ़िर से एक बार ,
अब , ज़मीं पर फ़िर कोई दुर्गा उतरनी चाहिए ।
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मुझे याद आ रहा है कारगिल युद्ध --जब कारगिल
के कातिलोंको , देशभक्त होने का दावा करने वालों
ने , बहत्तर घंटे तक , भाग जाने का खुला
रास्ता देकर , कारगिल के पाँच सौ से अधिक
शहीदों की शहादत का अपमान किया था --
मुझे याद आ रहा है वह दिन, जब एक
अरब की जनसंख्या वाल्रे इस देश के
रहनुमाओं ने कंधार , जाकर देश पर हमला
कराने और करने वालो को मुक्त किया था ।
वही लोग दाउद को सौपने की मांग कर रहे हैं ।
मगर , क्याये नेता इस बात की गारंटी देंगें
कि ये फ़िर दाउद को लाहौर या कंदहार
जाकर नही छोड़ आयेंगे ? भारत के वे
सभी वाक्पटु और टी.वी. स्टार के रूप में
पहचाने जाने नेता
टी.वी. के परदे से गायब हैं ।
आतंकवादियों के साहस और शौर्य से हतप्रभ
ये लोग शायद ख़ुद के बारे में ज़्यादा
सोच रहे है कि कौन सी राजनीति करे
कि हम भारत के लोग , इनसे वह सवाल
करना भूल जाय
जो अभी एकस्वर से कर रहे हैं ।
पर ये सभी जान रहें हैं कि युद्ध अभी कुछ
देर के लिए ही
रुका या रोका गया है ।
इसलिए शायद इन्हें यह सद्बुद्धि आए कि ये लोग
वह सब करने से बचेंगें जो करने की
इनकी आदत रही है ।
शहीद हेमंत करकरे की पत्नी और शहीद संदीप
उन्नीकृष्णन के पिताने देश को बताया है
कि अपनी कुर्सी के लिए देश के मूल्यों
की ह्त्या करने वालों को अगर दंड नही दे सकते
तो उनसे न मिलकर, ये बता सकते हैं कि आप
किसी शहीद को सम्मानित करने के योग्य नही ।
हिंदुत्व का पुरोधा होने का दावा , दिखावा करने
वाले नरेंद्र मोदी को यह भी नही मालूम
कि किसी हिंदू के घर , अकाल मृत्यु
होने पर , उस दुर्घटना में विधवा हुई स्त्री के
पास एक करोड़ रूपया लेकर जाना और तब
उसे सांत्वना देना शास्त्र-विरुद्ध
आचरण है ।
मगर यह सब हो रहा है । तो आइये एक नए भारत
निर्माणके लिए कुछ नया चिंतन करे ।
नया सृजन करें ।
शुद्ध और सशक्त विचारों से एक नया रास्ता बनाए ।
---- अरविंद पाण्डेय