रविवार, 23 नवंबर 2008

व्यर्थ के आकर्षणों से मुक्त जो राही ..



योजना ही मार्ग निष्कंटक बनाती है . 
लक्ष्य - केन्द्रित दृष्टि ही मंजिल दिलाती है ॥

व्यर्थ के आकर्षणों से मुक्त जो राही ..
विजय का आनंद पाता है सदा वह ही

---अरविंद पाण्डेय