आज पवित्र श्रावण की दूसरी सोमवारी को भगवान् सदाशिव को मेरे स्वर में , मेरे अपने ही शब्दों में अर्पित भजन :
यहाँ मैंने ''मेरा'' शब्द का प्रयोग किया ,, किन्तु मेरा कुछ भी नहीं,, सब कुछ उन्हीं का है..
आप सभी शिव-भक्त भी इस भजन में वर्णित भगवान् के गुणों का रसास्वादन करें..
1.
शिव ही इस संसार में सबके पालनहार .
शिव को तू मत भूलना,हर पल शिव को पुकार.
2.
शिव शिव जप ले रे मना,शिव का कर गुणगान.
तू भी शिव हो जाएगा, शिव का कर ले ध्यान.
3.
शिव की शरण जो आए.
काल छुए ना उसको वो तो,
अजर-अमर हो जाए,
शिव ने जो पिया था हालाहल ,
अमृत बनकर बरसा पल पल,
नाम जपे जो शिव का उसका भव-बंधन कट जाए.
शिव की शरण जो आए.
4.
सुख हो दुःख हो यश अपयश हो मान हो या अपमान.
झूठा सारा खेल है जग़ का, कर ले शिव का ध्यान.
सब कुछ कर दे शिव को अरपन माया-मोह बिसार.
मेरे शिव हैं दीनदयाल .मेरे शिव हैं दीनदयाल.
5.
शिव की जोत से जगमग करते सूरज चन्दा तारे .
शिव की शरण में कट जाते हैं भव के बंधन सारे.
शिव का ध्यान लगाते चलो.
प्रेम की गंगा बहाते चलो.
जोत से जोत जगाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो.
Written and Sung and Dedicated to Lord Shiv by Aravind Pandey .
( IPS 1988 Bihar Cadre )
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