बुधवार, 3 नवंबर 2010

तुझे मेरे लिए ज़मीन पे आना होगा .!


हे अबोध ! अगम्य ! प्रियवर ! 

मुझे मालूम  के तू आसमां पे रहता है.
तुझे ज़मीन पे आने की ज़रुरत भी नहीं.
मगर,कुछ इस तरह से मैं तुझे पुकारूंगा.
तुझे मेरे लिए ज़मीन पे आना होगा .. 

I know You are in distant sky of universal mind !
I know you need not to descend here.
Yet, I will call you in such a way,
You have to come to Earth only for me, I swear !! 

----अरविंद पाण्डेय

7 टिप्‍पणियां:

  1. Pranam ,

    Thanking for post and this poem is tell lot of thing in few word .

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  2. Humne ummedon ke diye hain jalayen
    aasman se koi farista mere liye bhi aaye
    Kab tak ladenge halat se tanha
    koi aaye phir ek baar
    charag dil ka jalane

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  3. Most Respected Sir,
    Very confident lovely call …….Jai Hind !!!!!

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  4. परम आदरणीय सर , अति सुंदर कविता हैं ....जय हिंद !!!!!

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