शनिवार, 31 अगस्त 2019

मंदी, भ्रष्टाचार में

मंदी,  भ्रष्टाचार  में, भ्रष्ट  हुए  हैं  मंद.
कुछ रिमांड पर रहे,कुछ जेलों में बन्द.
🇮🇳🇮🇳

रविवार, 9 जून 2019

अलीगढ़ कांड और निर्भया फण्ड

अलीगढ़ कांड और  निर्भया फण्ड
निर्भया कांड के बाद भारत सरकार ने निर्भया कोष बनाया जिसके लिए आवंटित राशि से महिलाओं के विरुद्ध अपराध के निवारण-निरोध के लिए काम किया जाना था... क्या आपको पता है कि आपके अपने अपने राज्यों में उस कोष का कहां किस तरह का प्रयोग किया गया ?? नहीं ! तो उसे जानने की कोशिश कीजिए !
....उस कोष के प्रयोग के लिए  मैंने IG  कमज़ोर वर्ग के रूप में एक प्रस्ताव भारत सरकार के गृह मंत्रालय को 2013 में ही भेजा और वीडियो कॉन्फ्रेंस में भी उस प्रस्ताव की उपयोगिता पर विस्तृत रूप से बताया था !
... वह प्रस्ताव था -
1. महिला अपराधों से प्रभावित प्रत्येक थाना में एक अलग "महिला एवं बच्चों के लिए कक्ष" संस्थापित हो जो महिला अपराधों के संबंध में त्वरित कार्रवाई केंद्र
और
परामर्श केंद्र
के रूप में कार्य करेगा !
2. उस कक्ष में केवल महिला अधिकारी और महिला सिपाही प्रतिनियुक्त रहेगीं जिन्हें बच्चों और महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के संबंध में नियमित रूप से विशेष प्रशिक्षण दिया जाता रहेगा !
3. थाना में इस कक्ष के लिए एक अलग वाहन रहेगा जिसका प्रयोग उस कक्ष में पदस्थापित प्रभारी महिला अधिकारी द्वारा महिला या बच्चों के विरुद्ध अपराध के  संबंध में ही किया जाएगा !
.... उनकी योजना क्या थी ?
जिले में एक one stop centre स्थापित किया जाएगा जहां पुलिस अधिकारी, डॉक्टर, मनोचिकित्सक आदि रहेगे जो किसी भी महिला के विरुद्ध अपराध के बाद कानूनी कार्रवाई आदि करेगें !
... मैंने विमर्श में कहा कि यदि पटना के  मोकामा के किसी गांव में 12 बजे रात कोई इस तरह का अपराध होता है तो वह पीड़ित महिला पटना ज़िला मुख्यालय में स्थापित centre में कैसे आ पाएगी ??  उसे तुरंत सहायता चाहिए तो रात में उसे 30 किलोमीटर दूर आने के लिए विवश करना उचित है कि 2 किलोमीटर दूर उसके अपने थाना में लाकर महिला कक्ष के माध्यम से उसकी सहायता करनी उचित है ??
... मैंने कहा कि पीड़ित के रूप में सोचते हुए ही हमें कोई योजना क्रियान्वित करनी होगी...
... तो निर्भया फण्ड को गूगल में सर्च कीजिए पता कीजिए कि आपके अपने अपने राज्यों में उसका क्या उपयोग हुआ और कृपया टिप्पणी में लिखिए भी !
... 21 सदी में 18 वीं सदी की सोच रखने वाले नौकरों के कारण ही इस तरह की समस्याओं का वास्तविक समाधान नहीं हो पा रहा !
- अरविंद पांडेय
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शुक्रवार, 17 मई 2019

गांधी जी की हत्या के उपेक्षित पहलू

गांधी जी की हत्या के उपेक्षित पहलू :
महात्मा गांधी ने भारत विभाजन के प्रकरण पर कहा था कि बटवारा मेरी लाश पर होगा..
.... 14 अगस्त 1947 के बाद वे अपने इस संकल्प और अभीप्सा के साथ ही श्वास ले रहे थे...विभाजन की असह्य वेदना उन्हें पल पल मार रही थी...उनका सारा राजनीतिक दर्शन उन्हें स्वयं इस रक्तरंजित विभाजन के साथ ही झूठा लग रहा था .....
.......वे भारत_पाकिस्तान के विभाजन और इस क्रम में जिन्ना और उसके गिरोह द्वारा किये गए नरसंहारों से मर्माहत थे और अपनी जिजीविषा को वे स्वेच्छया तिलांजलि दे चुके थे.....
...… और इसलिए जब मदनलाल पहवा ने 20 जनवरी 1948 को दिल्ली में गांधी निवास बन चुके बिरला हाउस पर बम चलाया और गांधी जी की सुरक्षा बढ़ा दी गयी तो उन्होंने गृहमंत्री सरदार पटेल को बुलाकर कहा कि उन्हें सुरक्षा नहीं चाहिए और अगर सुरक्षा हटाई नहीं गयी तो वे अनशन करेगें..... सरदार पटेल गांधी जी को जानते थे कि वे सुरक्षा नही हटाने पर आमरण अनशन करेगें... उन्हें दो स्थिति बनती दिख रही थी उन्हें -
1. सुरक्षा नही हटी तो गांधी जी अनशन करेगें और उनका वह अनशन उनकी मृत्यु का कारण बन सकता था .
2. सुरक्षा हटाने पर पाकिस्तान से दिल्ली में आये शरणार्थियों से गांधी जी पर आसन्न प्राण संकट था क्योंकि मदनलाल पहवा 20 जनवरी को गांधी जी पर असफल हमला कर चुका था...
..... गृहमंत्री सरदार पटेल ने दूसरा विकल्प चुना और गांधी जी को अनशन से बचाने के लिए उनकी  सुरक्षा को  हटा देने का आदेश दिया...
..... मैं पुलिस अधिकारी के रूप में हमेशा से सोचता रहा  हूँ कि गृहमंत्री के उस अनुचित आदेश को दिल्ली पुलिस प्रमुख ने क्यों मान लिया ? दिल्ली पुलिस प्रमुख कह सकते थे कि ---
"जबतक मैं पुलिस प्रमुख हूँ सुरक्षा नहीं हटाई जाएगी क्योंकि गांधी जी पर हमले की संभावना है..आप चाहें तो मुझे हटा दें.."
.... किन्तु दिल्ली पुलिस प्रमुख ने गृहमंत्री सरदार पटेल के अनुचित आदेश का पालन किया और गांधी जी की सुरक्षा के लिए उत्तरदायी सभी लोगों द्वारा गांधी जी को असुरक्षित छोड़ दिया गया...
....30 जनवरी 1948 को सरदार पटेल गांधी जी  की हत्या के 15 मिनट पहले तक उनके साथ बिरला हाउस में थे......वे बिरला हाउस से निकलते हैं और गांधी जी प्रार्थना सभा की ओर बढ़ते हैं.... नाथूराम ने स्वयं भी देखा कि भारत के गृहमंत्री यहां हैं.... और प्रार्थना स्थल पर गांधी जी के पहुँचने के पहले ही  नाथूराम ने बड़ी आसानी से गांधी की हत्या कर दी...
.... गांधी जी वास्तव में अपने "ईश्वर अल्ला तेरो  नाम" के राजनीतिक दर्शन के साथ जिन्ना और उसके नरसंहारी गिरोह द्वारा किए गए विश्वासघात के बाद जीवित रहना ही नहीं चाहते थे...उन्होंने कहा था कि विभाजन मेरी लाश पर होगा और इस वचन पर अडिग रहते हुए उन्होंने स्वयं को इतना असुरक्षित हो जाने दिया कि उनकी जीवित देह को लाश में बदल देने में पागल हत्यारे को कोई अवरोध या असुविधा नहीं हुई....
..... स्वतंत्र भारत में पुलिस कर्तव्यों में यह पहला राजनीतिक हस्तक्षेप था जिस कारण महात्मा गांधी जी की हत्या संभव हो पाई....
.... नाथूराम ने कोर्ट के सामने दिए गए अपने बयान में यह कहा था कि गांधी जी की सुरक्षा हटाकर वास्तव में उन्हें हमले का शिकार बन जाने के लिए छोड़ दिया गया था... और अगर सुरक्षा बनी रहती तो उन्हें मारना संभव नहीं था...
..... महात्मा गांधी के प्रति और इस देश के प्रति भक्ति रखने वालों को उनकी हत्या के इन उपेक्षित पहलुओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए...

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शनिवार, 11 मई 2019

हल्दीघाटी का महायुद्ध

हल्दीघाटी का महायुद्ध
बस एक सूत्र सिखलाता है.
दर्शक बनकर जो देख रहे,
उनको इतना बतलाता है !

राणा यदि यह रण हार गए
तो मुग़ल सल्तनत आएगी.
लड़ना होगा सैकड़ों साल,
पीढ़ियां बहुत पछताएगीं !

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गुरुवार, 2 मई 2019

वाल्मीकीय रामायण में श्रमिक के अधिकार

वाल्मीकीय रामायण में वर्णित है कि जब श्री भरत जी, श्री शत्रुघ्न जी के साथ ननिहाल से वापस आते हैं
और
उन्हें ज्ञात होता है कि उनकी माता कैकेयी को दो वर देकर महाराज दशरथ स्वर्गवासी हो चुके हैं तथा
सीता जी के साथ श्रीराम और  श्री लक्ष्मण वनगमन कर चुके हैं
तब वे स्वयं को इन दुर्घटनाओं का कारण मानते हुए ग्लानिग्रस्त होते हैं तथा माता कौसल्या के भवन में प्रवेश करते हैं...
....माता कौसल्या अति शोकार्त थीं और श्री भरत को देखकर उन्होंने कहा कि "अब तुम निष्कंटक राज्य भोग करो ..."
...... माता का यह वचन श्री भरत को असीम पीड़ा देते हुए आहत करता है और वे रघुवंश की इस महादुर्घटना में अपनी सहमति न बताते हुए माता के समक्ष अनेक शपथ  लेते हैं... उन शपथों में से एक शपथ थी -

कारयित्वा  महत्कर्म भर्ता  भृत्यमनर्थकं
अधर्मो योSस्य सोस्यास्ति यस्यार्योनुमते गतः

अर्थात
यदि श्रीराम के वनवास में मेरी किसी भी प्रकार से सहमति रही हो तो मुझे भी वही पाप लगे जो किसी सेवक से कार्य कराने के बाद उसे उचित पारिश्रमिक न देने वाले स्वामी को लगता है..
.... न्यूनतम मजदूरी न देना वाल्मीकीय रामायण में महापाप माना गया है... रामायण में धर्मधुरीण श्री भरत का वचन है यह... वाल्मीकीय रामायण को पूर्णतः हृदयंगम करने से ही शुद्ध मनुष्य का निर्माण सम्भव होगा ... आज के नीतिनियन्ता यदि माता कौसल्या के समक्ष श्री भरत द्वारा ली गयी शपथों का ज्ञान एवं सम्मान करें तो वे आम जनता को मिथ्या वचन देने के महापाप से बच सकते हैं !
.......... और जो लोग 1 मई-मजदूर दिवस पर कम्युनिस्ट शब्दावली में कुछ लिखने की औपचारिकता निभा रहे हों उन्हें वाल्मीकीय रामायण वे वर्णित श्रमिक के अधिकार का सिद्धांत पहले पढ़ना चाहिए !

शनिवार, 12 जनवरी 2019

सोशल मीडिया पर संपत्ति की घोषणा

संपत्ति की सार्वजनिक-घोषणा :
लोकसेवा के सभी महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत सभी सेवकों को सरकारी संस्थाओं में भ्रष्टाचार के संदर्भ में जनता के टूटते हुए विश्वास को बचाने के लिए अब सोशल मीडिया पर भी अपनी चल-अचल संपत्ति की घोषणा करनी चाहिए !
.... उसका परिणाम क्या होगा ?
... यदि ऐसे अधिकारी या नेता का #फ्लैट, भूखंड, भवन आदि होगा तो लोग उसकी सूचना विजिलेंस या सरकार को देगें !
.... जैसे -  मेरी चल-अचल संपत्ति निम्नवत है :
1. अचल संपत्ति : उत्तरप्रदेश के मिर्ज़ापुर ज़िले के प्रसिद्ध महाशक्तिपीठ विंध्याचल में मेरे पास एक पुराना मकान और 12 बिस्वा (कट्ठा) कृषिभूमि है.
....... बिहार झारखंड के 6 जिलों में मैं SP रहा. 3 रेंज में DIG रहा और 1 ज़ोन में IG के रूप में कार्यरत रहा... इसके अतिरिक्त CID में IG और ADG के रूप में भी कार्यरत रहा....
..... बिहार या झारखंड या देश-विदेश में किसी जगह मेरी कोई अचल संपत्ति - फ्लैट, भूखंड, भवन आदि नहीं है !
2. चल संपत्ति : मेरे पास लगभग 7-8 लाख रुपए की चल संपत्ति है..
..... अब यदि मेरी कोई अचल संपत्ति कहीं हो तो उसकी सूचना सरकार को अवश्य दीजिए !
..... मैंने पहले भी कहा था और अब भी कह रहा हूँ कि CBI के आलोक वर्मा, राकेश अस्थाना सहित देश के महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत सारे अधिकारियों को सोशल मीडिया पर अपनी संपत्ति की घोषणा करनी चाहिए जिससे CBI की और उन उन पदों और संस्थाओं की  विश्वसनीयता अखंड और अक्षुण्ण रह सके !
.... इसीतरह सभी महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक लोक सेवकों को सोशल मीडिया पर अपनी संपत्तियों को घोषणा करनी चाहिए !

सोमवार, 10 सितंबर 2018

आज भारत बंद है

दवा बिना मर गई बालिका,
ठेले, रिक्शे  टूट  गए.
नोटा वालों की कारों के
शीशे चकनाचूर हुए.

मेहनतकश का काम गया,
दूकाने धड़ धड़ बंद हुईं.
बंदबाज़ दो चार थे मगर,
लाठी खूब बुलंद हुई.

जनता की सेवा को व्याकुल
भीड़ देख, सब भाग चले.
टेम्पो,टैक्सी,ट्रेन थम गई,
वायु यान पर खूब चले.

दस करोड़ गरीब गुरबा को
आज काम कुछ नहीं मिला.
पांच सितारा में मदिरा का
प्याला, लेकिन खूब चला.

जन - सेवा  को  व्याकुल
लोगों ने हुड़दंग प्रचंड किया.
सोच रही जनता, भाई ये
कैसा भारत बंद किया 🤔

"यदि सच्चाई हो इसमें तो,
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रविवार, 9 सितंबर 2018

भारत बंद

कल देश के  अधिकांश हिस्सों में 125 करोड़ लोगों में से सिर्फ 1-2 लाख लोग सड़कों पर बैनर तख्ती लेकर निकलेंगे और बाकी करोड़ों लोगों का चलना,फिरना, स्कूल जाना, अस्पताल जाना, सब्ज़ी-सामान बेचना-खरीदना  मुहाल कर देगें .....
उच्च न्यायालयों के अनेक न्याय निर्णयों द्वारा अवैध घोषित बंद कल फिर होगा !!
.... इन बंद-बाज़ लोगों के पास पेट्रोल डीज़ल पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा वसूले गए टैक्स को किस किस काम में खर्च किया गया - , इसका विवरण नहीं होगा , बस कुछ नारे होंगे, कुछ स्टेटमेंट्स होंगे और कुर्सी पर बैठने की ललक होगी.....
.... पेटोल डीज़ल 50 रुपये में बिक सकता है अगर पूरा देश यह निर्णय करे कि अगले 10 सालों तक कोई ताजमहली बिल्डिंग नहीं बनेगी, 5 स्टार होटलों में कोई सरकारी सेमिनार नहीं होगा, और दूसरे गैरज़रूरी खर्चे नहीं किए जाएंगे ! लाखों करोड़ रुपए किसानों की कर्जमाफी के नाम पर खर्च किये जाते हैं -- ये पैसा भी पेट्रोल डीज़ल पर टैक्स लगाकर ही इकट्ठा किया जाता है....
..... आइए मैदान में मगर समाधान के साथ आइए  ...
.... क्योंकि आपकी इस बंदबाज़ी से जिस दिन 125 करोड़ लोग नाराज़गी व्यक्त करने के लिए आमने सामने होंगे तो क्या होगा ।

-- अरविंद पाण्डेय

कब तक भारत बंद करोगे ?

कब तक बंद करोगे,बोलो,
भारत को,   भारत वालों.
कब तक लड़ना चाह रहे हो,
आपस में लड़ने वालों.

आधा भारत पहले से ही
बंद पड़ा है  सदियों  से.
ताकत  है तो मुक्त करो
इस भारत को  हथकड़ियों से.

आधा भारत तरस रहा है
कैसे उसको   काम  मिले.
पर,तुम केवल सोच रहे हो
सत्ता  कैसे आन मिले.

हर निर्णय को जाति-धर्म का
वस्त्र तुम्हीं पहनाते हो.
फिर लोगों को मिलजुल कर
रहने का पाठ पढ़ाते हो.
-- अरविंद पांडेय.

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रविवार, 27 मई 2018

भारत का संविधान ईश्वर वादी है

हमारा संविधान ईश्वरवादी_है :
कृपया इसे पढ़ें और इच्छा हो तो शेयर कॉपी पेस्ट भी करें :
..... संविधान की तीसरी अनुसूची में
संघ और राज्यों के मंत्रियों के शपथ का प्रारूप दिया गया है जिसका प्रारम्भ होता है --
" मैं , अमुक, ईश्वर की शपथ लेता हूँ  / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ "  -- इसका अर्थ क्या हुआ ?
.... इसका स्पष्ट अर्थ है कि हमारी संविधान सभा
तथा
संविधान निर्मात्री समिति को
ईश्वर के अस्तित्व में अखण्डविश्वास था
क्योंकि संविधान निर्माता किसी ऐसी सत्ता के नाम पर मंत्रियों को शपथ लेने का प्रावधान नहीं कर सकते थे जिसका अस्तित्व ही न हो या जिसके अस्तित्व पर उन्हें अखंड विश्वास न हो...
..... इसलिए भारत में ईश्वर एक आध्यात्मिक सत्य तो है ही, संवैधानिक सत्य भी है जिसके नाम पर शपथ लेकर केंद्र और राज्य के मंत्रिमंडल के सदस्य कर्तव्य निर्वहन करते हैं और करते रहेगें....
..... और इसलिए, भारत में कोई भी स्वयं को सहस्रबाहु ईश्वर के समकक्ष न समझे क्योंकि ईश्वर एक संवैधानिक सत्ता है जिसके नाम पर शपथ लेकर देश का राजकार्य संचालित होता है...