रविवार, 27 मई 2018

भारत का संविधान ईश्वर वादी है

हमारा संविधान ईश्वरवादी_है :
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..... संविधान की तीसरी अनुसूची में
संघ और राज्यों के मंत्रियों के शपथ का प्रारूप दिया गया है जिसका प्रारम्भ होता है --
" मैं , अमुक, ईश्वर की शपथ लेता हूँ  / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ "  -- इसका अर्थ क्या हुआ ?
.... इसका स्पष्ट अर्थ है कि हमारी संविधान सभा
तथा
संविधान निर्मात्री समिति को
ईश्वर के अस्तित्व में अखण्डविश्वास था
क्योंकि संविधान निर्माता किसी ऐसी सत्ता के नाम पर मंत्रियों को शपथ लेने का प्रावधान नहीं कर सकते थे जिसका अस्तित्व ही न हो या जिसके अस्तित्व पर उन्हें अखंड विश्वास न हो...
..... इसलिए भारत में ईश्वर एक आध्यात्मिक सत्य तो है ही, संवैधानिक सत्य भी है जिसके नाम पर शपथ लेकर केंद्र और राज्य के मंत्रिमंडल के सदस्य कर्तव्य निर्वहन करते हैं और करते रहेगें....
..... और इसलिए, भारत में कोई भी स्वयं को सहस्रबाहु ईश्वर के समकक्ष न समझे क्योंकि ईश्वर एक संवैधानिक सत्ता है जिसके नाम पर शपथ लेकर देश का राजकार्य संचालित होता है...

शनिवार, 22 अक्तूबर 2016

शाहे-इंक़लाब अशफ़ाक़ुल्ला ख़ान

शाहे-इंक़लाब अशफ़ाक़ुल्ला ख़ान साहब को
जन्मदिन मुबारक़ 💐💐💐

गद्दार के धोखे से गिरफ्तार जब हुए.
मज़हब के बहाने से पुलिस ने थे यूँ कहे-
"दोगे जो गवाही तुम साथियों के बर खिलाफ.
सरकार से कहेंगे कि वो कर दे तुम्हें माफ़."

अशफ़ाक़ ने कहा-सुनो अंग्रेज़ के कप्तान.
मेरी तो है सरकार ये अज़ीज़ हिंदुस्तान.
तख्ते पे फांसियों के हम चढ़ेंगे यूँ पुरजोश.
अंग्रेज़ सल्तनत के उड़ाएंगे वहीं होश.

कह कर यूँ तुम चले गए ऐ शाहे-इंक़लाब.
तुम मादरे वतन के लाडले थे लाजवाब.
तुमसे ही तो रहेगी हिंदुस्तान की पहचान .
लाखों सलाम तुमको ऐ अशफ़ाक़ुल्ला खान.
-- अरविन्द पांडेय .

रविवार, 16 अक्तूबर 2016

अभिव्यक्ति की आज़ादी

उन्हें  चाहिए अभिव्यक्ति की आज़ादी,
क्योंकि चाहिए उन्हें मुल्क़ की बरबादी.

अभिव्यक्ति की आज़ादी जब पा जाएंगे,
हर #विद्यालय को #युद्धालय में बदलेगें.

रावण, महिषासुर को फूल चढाएगें.
राष्ट्रगान की जगह गीत यह गाएंगे -
"अफ़ज़ल हम शर्मिन्दा हैं,
  तेरे क़ातिल ज़िंदा हैं."

मगर सुनों अब जाग उठा है हिंदुस्तान.
जाग उठा क़ानून और सोया सुल्तान.
-- अरविन्द पांडेय .

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2016

अपने ही शस्त्रों से आहत

जननीजन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी

अपने  ही  शस्त्रों  से  आहत, रुधिर-विरूपित वेष.
विवश हुआ पश्चिम भी, अब दे रहा शान्ति-उपदेश.
जब  तक  था आतंकित  पूरब, तब तक थे निश्चिन्त.
अब यूरोप  और  अमरीका भी हैं परम सचिन्त.

जिन  देशों  के  हथियारों  से  भरा विश्व - बाज़ार .
अचरज,वे ही आज कर रहे व्याकुल शांति-प्रचार.
आज  बनी  रणभूमि  हमारी धरा धन्य रमणीय.
नहीं मार्ग अब शेष,  युद्ध लघु ही अब है वरणीय.

युद्ध आज आवश्यक है अपने ही कुविचारों से .
बच  सकते  हो  बचो  चित्त  में फैले  अंगारों से .
धधकेगी युद्धाग्नि निकट,फिर होगा कौन तटस्थ.
पूर्व  और  पश्चिम  दोनों  होंगे आहत , अस्वस्थ .
-- अरविन्द पांडेय

फ़्रांस में हुए आतंकावादी हमले का सन्दर्भ

बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

ओ नवाज़ !



ओ नवाज़ !


मैं जन्म दिवस पर तुझे 
बधाई देने खुद घर आया था. 
तेरी माँ के चरणों में अपनी
माँ सा शीश झुकाया था .


पर, ओ नवाज़ ! तूने तो 
मेरी भारतमाँ को रुला दिया.
धोखे से उसके बेटों को 
सोते सोते ही सुला दिया.

मैंने तुझको समझा शरीफ,
पर, तू निकला कमज़र्फ,यार. 
लड़ने का दम है नहीं, मगर,
तू लड़ पड़ता है बार बार.

अब सुन ले हमको कभी 
न फिर से तू धोखा दे पाएगा.
कश्मीर-मीर रटते, तू सिंध,
बलूचिस्तान गंवाएगा .


-- अरविन्द पांडेय .



गुरुवार, 22 सितंबर 2016

सारी दुनियां के लिए खतरनाक आदमी

नवाज़ शरीफ़ ने कल 
संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने वक्तव्य में 
5 बार खांसते हुए आतंकी बुरहान की स्तुति की 
और कश्मीर में आतंकवाद के परोक्ष समर्थन 
करने के अपने संकल्प को दुहराया ...., 
.... उन्की खांसी यह बता रही थी कि वे यह 
जानते हैं कि वे झूठ बोल रहे हैं और उरी के 
बाद भारत के गुस्से से डरे हुए है .... 
..... नवाज़ शरीफ़ 1990 से पाकिस्तान के 
प्रधानमंत्री बनते रहे हैं और अब तक न तो वे 
बेनज़ीर भुट्टो की तरह आतंकवादियों द्वारा मार डाले 
गए हैं और न तो ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो की तरह 
फांसी पर चढ़ाए गए हैं...... 
...... इसका सीधा अर्थ है कि 
नवाज़ के नेतृत्व को स्थायी रूप से 
आतंकवादियों , 
पाकिस्तानी सेना और 
ISI 
ने बहुत पहले से स्वीकार कर लिया है ..... 
.... यह आदमी पूरी दुनियां के लिए 
खतरनाक बन चुका है ...... 





शनिवार, 14 मई 2016

तुम हो वही ..

तुम हो वही,तुम थे यही,फिर क्या बदल गया.
चूहे निकल कर  बिल से , परेशान कर  रहे !!

गुरुवार, 5 मई 2016

डिग्रियां

मिलती हैं डिग्रियां जहां चेहरे को देखकर,
उस दौर में तुम पूछते हो डिग्रियां मेरी

ऐ दोस्त, अब तो दौर यहां #Odd_Even का,
मुमकिन है Even डिग्रियां भी Odd सी लगें.

है फ़र्क़ नज़रिये का कोई Odd ना Even,
कहते हो जिसे Odd, Even लोग कह रहे.

जब डिग्रियों की शर्त संविधान में नहीं,
फिर डिग्रियों की फ़िक़्र क्यूँ सता रही तुम्हें

मंगलवार, 3 मई 2016

कुछ बच्चे ....

कुछ बच्चे रोटियां चुरा के बेईमान हो गए.

मगर जो मुल्क़ की इज़्ज़त ही चुरा लेते हैं,
उन्हें बेईमान क्या कहा, वो परेशान हो गए.