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रविवार, 15 जुलाई 2012

गुवाहाटी में हम भारत के लोग

गुवाहाटी की घटना से यह संकेत मिलता है कि इस देश में प्रत्येक संस्था , प्रत्येक वर्ग यह मानता है कि अपने सामने घटित होते हुए अपराध में हस्तक्षेप करने या पुलिस को तत्काल सूचना देने या ऐसे अपराधी को गिरफ्तार करके पुलिस के हवाले करने की जिम्मेदारी आम नागरिको की नहीं है ..

मगर क़ानून ऐसा नहीं कहता.. 

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ३७ : किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट की मांग पर, प्रत्येक नागरिक, किसी अपराधी की गिरफ्तारी में उसकी मदद करने के लिए कानूनन बाध्य है. 

धारा ३९ : कुछ अपराधों के घटित होने या उस अपराध की योजना की जानकारी मिलने पर प्रत्येक नागरिक पुलिस या मजिस्ट्रेट को सूचना देने के लिए कानूनन बाध्य है..जिसमें लोक-प्रशांति भंग करने का अपराध भी आता है जो गुवाहाटी की घटना में हुआ...

४३ (१ ) कोई भी नागरिक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है जो उस नागरिक के सामने कोई गैर ज़मानातीय और संज्ञेय अपराध कर रहा हो और ऐसी गिरफ्तारी के बाद उसे पुलिस को सौंप सकता है..

गुवाहाटी की घटना के साक्षी और घटना का फिल्मांकन करते हुए वहा उपस्थित लोग, उपर्युक्त कानूनी प्रावधानों का पालन न करने के कारण स्वयं भी आरोपित की श्रेणी में आते हैं . 

और पुलिस की भूमिका की जांच तो होनी ही चाहिए कि घटना के समय वहाँ के क्षेत्रीय पदाधिकारी कहाँ थे और क्या कर रहे थे..

जर्मनी सहित अनेक देशों में ऐसा क़ानून है जो आप नागरिक द्वारा सक्षम रहते हुए अपराध न रोकने के आचरण को गम्भीर अपराध की श्रेणी में परिगणित करता है.. 
भारत में भी ऐसा क़ानून बनाए जाने की आवश्यकता है .. 

३ साल पहले पटना में एक लडकी के साथ दो लोगो ने सड़क पर इसी तरह का अपराध किया था और उसके बाद माननीय मुख्यमंत्री ने उस समय के आई जी , डी आई जी सहित पटना के एस पी का स्थान्तरण दूसरे दिन ही किया था..

मैंने एस पी , डी आई जी के रूप में रांची, चतरा , पलामू, खगडिया, गया, मोतिहारी , बेतिया , सहरसा ,मुजफ्फरपुर आदि जिलो में पैम्फलेट के माध्यम से जनता को प्रशिक्षित किया था कि वे भी आत्मरक्षा के अधिकारों का प्रयोग करते हुए अपराधी के ऊपर हमला कर सकते हैं और ऐसा करने से उन्हें कानूनी सुरक्षा भी प्राप्त रहेगी..पुलिस द्वारा ऐसा किया जाना चाहिए जिससे आम नागरिक भी अपने कानूनी कर्तव्यों के प्रति सचेत रहें और पुलिस की सहायता निर्भय होकर कर सकें...