सोमवार, 18 अगस्त 2014

वे दोनों हैं रत्न ...

हज़ारों साल कुदरत खुद ही खुद में कसमसाती है.
तभी जाकर रफ़ी जैसी कोई आवाज़ आती है.


कोई आवाज़, जब महसूस हो,जन्नत से आई है.
किसी बच्चे को अभी मुकेश ने लोरी सुनाई है .



भारत के 100 अरब से अधिक जीवित और स्वर्गवासी लोगों के जीवन को अपने स्वर-सौरभ से रफ़ी साहब और मुकेश जी ने सानंद बनाया ............ मेरे विचार से सबसे पहले इन दो महान भारतीयों को '' भारत रत्न '' मिलना चाहिए.....


.............. सुभाष बाबू तो रत्न नहीं रत्नागार थे......... 
उनके प्रेरक व्यक्तित्व से तो रत्नों का निरंतर जन्म होता रहता है......