शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014

प्रकृति का श्रृंगार तब तक रहेगा बिल्कुल अधूरा


प्रकृति का श्रृंगार तब तक रहेगा बिल्कुल अधूरा.
जब तलक प्रत्येक जन का स्वप्न हो जाए न पूरा.
गिरि, नदी, पर्वत सभी में चेतना है सुप्त, तन्द्रिल,
किन्तु, प्राणी में प्रकट है प्रकृति का संकल्प पूरा.


अरविंद पाण्डेय 
 www.biharbhakti.com

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