सोमवार, 7 अप्रैल 2014

श्री माँ के श्री चरणों में


यो माम् जयति संग्रामे, यो मे दर्पं व्यपोहति.
यो मे प्रतिबल: अस्ति, स मे भर्ता भविष्यति : 

श्री दुर्गा सप्तशती मे भगवती चंडिका का संवाद 

मैं वही शक्ति, जिसने शैशव में शपथ लिया 
नारी-गरिमा का प्रतिनिधि बन, हुंकार किया -- 

'' जो करे दर्प-भंजन, जो मुझसे बलवत्तर 
जो रण में करे परास्त मुझे, जो अविजित नर । 

वह पुरूष-श्रेष्ठ ही कर सकता मुझसे विवाह 
अन्यथा, मुझे पाने की, नर मत करे चाह । 

आज महानिशा-पूजन के अवसर पर श्री माँ के श्री चरणों में 
मेरा वर्ण-पुष्प :

अरविंद पाण्डेय 
www.biharbhakti.com

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर ,वाह क्या बात है। माँ कि कृपा आप पर और हर सच्चे इंसान पर हमेशा बनी रहे

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