गुरुवार, 31 जनवरी 2013

टूटे हुए कुछ ख्वाब, हों कुछ पूरी मुरादें,




सुप्रभात और नमस्कार सभी मित्रों को...आज की परावाणी आपके लिए :

है कौन वो सपने न रहे जिसके अधूरे,
ख़्वाबों के महल जिसके हुए हूबहू पूरे.
टूटे हुए कुछ ख्वाब, हों कुछ पूरी मुरादें,
दोनों को लिए साथ, तू बढ़ता चला जा रे.

अरविंद पाण्डेय 
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