सोमवार, 18 नवंबर 2013

और वो कंधा आज भी खून से लथपथ है.




कुछ लोग यहाँ ऐसे हैं जो इंसान को मारने के लिए
उसे क्रिकेट की गेंद की तरह आसमान पे उछालते हैं.

कुछ लोग यहाँ ऐसे हैं जो आसमान से गिरते हुए 
उस इंसान को अपने कन्धों पे अस्पताल पहुंचाते हैं. 

कुछ लोग यहाँ ऐसे हैं जो गेंद की तरह उछाले जाते हुए
और अस्पताल में पड़े हुए उस इंसान को मुद्दा बनाते हैं.

कुछ लोग यहाँ ऐसे हैं जो इन दोनों तरह के इंसानों पर
फ़िल्में बनाकर पुरस्कार लेते हैं और करोड़ों कमाते हैं.

कोई मैदान में गेंद से खेलकर इन्सान को नचाता है .
कोई मैदान में अपनी जान पे खेलकर इंसान को बचाता है.

किसी के हाँथ में बैट और तमगे हैं,
किसी की जुबान पे सिसकती हुई शपथ है. 

मगर, वो इंसान आज भी अस्पताल में है 
और वो कंधा आज भी खून से लथपथ है. 


..............पटना के एस एस पी श्री मनु महाराज के उन अंगरक्षकों में से एक है मृत्युंजय यादव जो गांधी मैदान में हुए विस्फोट के उन साक्षियों में से हैं जिनके सामने तीन इंसान बम-विस्फोट के बाद ज़मीन से ऊपर की और उड़ गए जैसे फिल्मों में दिखाया जाता है.... और उस वक्त भी पटना के पुलिस प्रमुख के साथ साथ उनके सारे अंगरक्षक वहां से हिले तक नहीं......वहां उपस्थित जन-समुदाय पुलिस वर्दी देखकर आक्रोशित हो उठा था किन्तु एस एस पी मनु महाराज और उन चार पुलिस के जवानों को अपनी चिंता नहीं थी ....वे चिंतित थे कि विस्फोट में घायल लोगों को तुरंत अस्पताल कैसे पहुचाया जाय ....ऐसे वक्त जब भीड़ उनके ऊपर घातक हिंसक हमला कर सकती थी तब भी उन्होंने घायलों को अपने कंधे पर उठाया और अस्पताल पहुचाया....
इन्हें किस पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाय..........ये जन-समुदाय निर्णय करे .......
.........इस फोटो में मृत्युंजय यादव गांधी मैदान के एक घायल को कंधे पे उठाये हुए अस्पताल की और बढ़ रहे हैं..........वहां उपस्थित बिहार के लोगों ने अद्भुत संयम दिखाया...घटना के बाद पुलिस के प्रति आक्रोश स्वाभाविक था फिर भी वहा शान्ति सुरक्षित रही.. धन्य है बिहार-भूमि और यहाँ के निवासी .......


..पटना पुलिस के जवान मृत्युंजय यादव को समर्पित...

अरविंद पाण्डेय

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रविवार, 3 नवंबर 2013

आओ, उन्हीं के नाम दिया पांच जलाएं.






दहशत के पटाखों में जो शहीद हो गए.
हाफ़िज़ की बेरुखी के जो शिकार हैं हुए.
आओ, उन्हीं के नाम दिया पांच जलाएं.
पुरअम्न-ओ-पुरअश्क़ दिवाली ये मनाएं.

अरविंद पाण्डेय
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शनिवार, 2 नवंबर 2013

दिया, खुद अपनी शहादत का, जलाया जाए.

 कृष्णं वन्दे जगद्गुरुं 



तरह  तरह के बिक रहे  हैं चिरागान  यहाँ.
जिन्हें  खरीदने  को  लोग  परेशान  यहाँ.
 कोई चिराग ना मिला कि जो दिल खुश कर दे.  
सदी की स्याह सियासत में  रोशनी  भर दे.

तो आओ दोस्त, सियासत को जगाया जाए 
दिया, खुद अपनी शहादत का,  जलाया जाए.

Aravind Pandey 

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शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

खिले चाँद की दीद मुबारक !

ॐ आमीन।


 परमानन्द - मयी   यह    ईद  !
शुभ हो, सब को, शशि की दीद !

सब को हो यह  ईद मुबारक !
खिले चाँद  की दीद मुबारक ! 

एक  मास की  ईश-भक्ति  का  पुण्य    हुआ  साकार 
नील - गगन  का  किया काल ने  शशि से शुभ श्रृंगार 
शिव-ललाट की चन्द्र-रश्मि, झरती,जल बन,अम्बर से 
ईद  और  श्रावण  में  देखो ,  सौम्य सुधा-रस   छलके    


अरविंद पाण्डेय 
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शनिवार, 6 जुलाई 2013

मौसिकी की मय

मौसिकी की मय 


अरविंद पाण्डेय
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वर्ण-विहीन समाज व्यवस्था




भविष्य में चीन द्वारा भारत में अवैध रूप से घुसकर बनाए गए और न हटाए गए तम्बुओं को ये लोग अकेले अकेले हटा पायेगे..???

...........आजकल फेसबुक और अन्य सोशल साइट्स पर अनेक प्रोफाइल , पेज या ग्रुप में अपनी अपनी जाति की उत्कृष्टता , सर्वोच्चता आदि की बाते प्रस्तुत की जा रही हैं............. यह सत्य भी है कि प्रत्येक जाति या वर्ण की अपनी विशिष्टताएं होती हैं और समाज के सर्वांगीण विकास में उनका विशिष्ट उपयोग भी है ............. किन्तु, इस देश को अगर महाशक्ति बनाना है तब जाति-वाद, वर्ण-वाद समाप्त करना होगा................ 

...........अगर हम इतिहास और अन्य प्रमाणों के आधार पर देखें तो पायेगे कि ब्राह्मण , ब्रह्मर्षि. कायस्थ या क्षत्रिय -------- ये चार नहीं बल्कि केवल २ वर्ण हैं ........ और इसीतरह पिछड़े-वर्ग और अनुसूचित जाति-जनजातियों में परिगणित लगभग २०० जातियां वास्तव में २०० नहीं अपितु केवल २ वर्ण हैं.................इसलिए अब, हम भारत के लोग ३०० जातियों में विभाजित न होकर, अगर सिर्फ एक ''वर्ण'' बन जायं -- तो देश का हित होगा......... 

..........ब्राह्मण , ब्रह्मर्षि या कायस्थ, क्षत्रिय आदि के विशिष्ट पेज और ग्रुप फेसबुक पर उपलब्ध हैं ............. जिनके अवलोकन से स्पष्ट होता है कि उसके लिखने वाले व्यक्तियों के अपने कुछ सामूहिक लक्ष्य हैं.... 


............मगर क्या वे लक्ष्य , अकेले प्राप्त हो सकेगे.....??? यदि लोकतंत्र में संख्या का अपना विशिष्ट व्यावहारिक महत्त्व रखती है तब क्या अकेले - अकेले ये तीनो स्वघोषित लक्ष्य प्राप्त कर पायेगे...??? ............ और क्या इन वर्गों के के नौजवानों की रोज़गार की समस्या का समाधान अकेले चलने से हो पायेगा...?? 


............. क्या इन लेखों को लिखने वालों को पता है कि उनकी अलग-अलग जनसंख्या क्या है ???? 


.............. और अगर एक काफिले में आ जांय तब उनकी जनसंख्या क्या होगी ...?? 


.......और अगर आज की व्यवस्था में जनसंख्या का कोई विशिष्ट महत्त्व है तब क्या एक काफिले में चलना श्रेयस्कर नहीं है .??? 



अरविंद पाण्डेय
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शुक्रवार, 31 मई 2013

ऐसा दीप कहाँ से लाऊं..



ॐ : आमीन 

तुम ही पुष्पों में परिमल बन महक रहे हो,
तुम्हें कौन सा कुसुम चढाऊं..
जिसकी सुरभि न तुम्हें मिली हो,
ऐसा फूल कहाँ से लाऊं.

तुम भास्कर बन सकल जगत को भासित करते,
तुम्हें कौन सा दीप दिखाऊं,
जो तुमको प्रकाश से भर दे ,
ऐसा दीप कहाँ से लाऊं..

अरविंद पाण्डेय
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बुधवार, 15 मई 2013

बहुत कुर्बानियां दी हैं हमारे कुनबे ने...




हर इक शहीद ने दिया जो शहादत देकर,
वही पैगाम मैं ज़िंदा ही देने आया हूँ. 
बहुत कुर्बानियां दी हैं हमारे कुनबे ने, 
मैं इस दफा उन्हीं को जिब्ह करने आया हूँ. 


ये पंक्तियाँ वास्तव में क्रुद्ध-कवि श्री Desh Ratna की एक कविता के पढने के बाद निकलीं...उन्हें धन्यवाद .......... 

.......अब बलिदान के संकल्प का नहीं अपितु राष्ट्र-शत्रुओं की बलि चढाने के संकल्प लेने का युग है............


अरविंद पाण्डेय
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सोमवार, 13 मई 2013

अमृत-विंदु खिचता है ..




श्रीकृष्णार्पणमस्तु 

धरती के अन्तस्तल से जब अमृत-विंदु खिचता है 
ताप, तरणि का संश्लेषित,जब पादप से मिलता है 
मानव  की  निःश्वास-वायु  से  होता  परिसंपुष्ट ,
प्रकृति-नटी के इतने श्रम के बाद पुष्प खिलता है .



अरविंद पाण्डेय
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शनिवार, 11 मई 2013

स्वर भी तुम, अक्षर भी तुम





कृष्णं वन्दे 

तुम स्वर में उतर पड़े हो,
मैं चुप कैसे रह जांऊ .
स्वर भी तुम, अक्षर भी तुम,
मैं तुम्हें लिखूं फिर गाऊं..



अरविंद पाण्डेय
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बुधवार, 1 मई 2013

श्रम से शिव का अभिषेक करें.





मैं श्रमिक ईश के उपवन का, 
मैं ही मादक मधु, मधुवन का. 
मेरे ही श्रम से महक रहा , 
कोना कोना नंदन-वन का. 

श्रम से संकल्प संवरता है, 
श्रम से सौन्दर्य निखरता है. 
जो श्रमिक वही फलदार वृक्ष सा 
मधुर स्वादु फल, फलता है. 


श्रम से शिव का अभिषेक करें. 
आओ श्रम से संताप हरें . 

अरविंद पाण्डेय 
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गुरुवार, 25 अप्रैल 2013

जय जय श्री हनुमान..

हरिः ॐ तत्सत्महाभटचक्रवर्तीरामदूताय नमः 

जब संकट आए कोई , हों व्याकुल मन प्राण.
शत्रु शक्तिशाली करे मारक शर - संधान . 
स्मरण करे एकाग्र हो , करे बस यही गान -
रामदूत रक्षा करो , जय जय श्री हनुमान. 

© अरविंद पाण्डेय..

शनिवार, 20 अप्रैल 2013

श्री श्री दुर्गा बत्तीस नामावली : स्वर : अरविंद पाण्डेय

श्री श्री दुर्गा बत्तीस नामावली
अरविंद पाण्डेय 
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गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

प्रथमं शैलपुत्री च !

ॐ नमश्चण्डिकायै 
प्रथमं शैलपुत्री च !
.......... आप सभी मित्रों को नवरात्र महापर्व के लिए मंगल कामनाएँ ! ...........
...........माँ विंध्यवासिनी का यह  भजन आप सभी के लिए ............

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तुम कर दो अब कल्याण,सुनो कल्याणी
हम शरणागत है माँ विंध्याचल-रानी
तुमने ही तो कृष्ण -रूप में ब्रज में रास रचाया
युगों युगों तक भक्त जनों के मन की प्यास बुझाया
शिव ही तो राधा बनकर ब्रज की धरती पर आए
इस प्यासी धरती पर मीठी रसधारा बरसाए

हम रस के प्यासे लोग, न चाहे भोग, सुनो कल्याणी
हम शरणागत है माँ विंध्याचल -रानी

सारे ज्ञानी-जन कहते हैं तुम करुणा की सागर
फ़िर कैसे संसार बना है दुःख की जलती गागर
तुम हो स्वयं शक्ति जगजननी फ़िर ये कैसी माया
इस धरती पर पाप कहाँ से किसने है फैलाया

हे माता हर लो पीर, बंधाओ धीर ,सुनो कल्याणी
हम शरणागत है माँ विंध्याचल -रानी


बिना तुम्हारे शिव शंकर भी शव जैसे हो जाते
तुमसे मिलकर शिव इस जग को पल भर में उपजाते
तुमने स्वयं कालिका बनाकर मधु-कैटभ को मारा
दुःख में डूबे ब्रह्मा जी को तुमनें स्वयं उबारा

हम आए तेरे द्वार, छोड़ संसार, सुनो कल्याणी
हम शरणागत है माँ विंध्याचल -रानी
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यह गीत मेरे द्वारा लिखा गया और इसकी धुन तैयार की गयी । वीनस म्यूजिक कंपनी द्वारा इसे अन्य भक्ति गीतों के साथ २००३ में एक एलबम के रूप में रिलीज़ किया गया ।
इस गीत में शिव के श्री राधा रानी के रूप में अवतार लेने तथा महाकालिका के श्री कृष्ण के रूप में अवतार लेने के रहस्य का वर्णन है ।
अरविंद पाण्डेय 
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बुधवार, 10 अप्रैल 2013

मै पूर्ण, शून्य, सर्वत्र आज ..



नभ की अनंतता सिमट सिमट,
मुझमे है आज समाई.
मै पूर्ण, शून्य, सर्वत्र आज 
मेरी ही सत्ता छाई..

............तुम जो सोचते हो वही हो और अभी नहीं हो तो शीघ्र हो जाओगे 
........इसलिए , यह तुम पर निर्भर है कि तुम क्या होना चाहते हो ...................


अरविंद पाण्डेय 
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सोमवार, 8 अप्रैल 2013

आएंगें तुम्हें याद हमारे ही सबक , दोस्त !


ॐ आमीन 

मुमकिन है भूलना हमें  नाम-ओ-निशान से 
हम  मिट  न  सकेगें, मगर,दौर-ए-जहान से
आएंगें तुम्हें याद हमारे ही  सबक  , दोस्त 
जब जब कभी गुजरोगे किसी इम्तिहान से  


भारत की आज़ादी के प्रथम योद्धा, अमर शहीद श्री मंगल पाण्डेय को,,
मेरी ओर से ,, आप सभी की ओर से समर्पित पंक्तियां ..............
सभी मित्रों को नमस्कार और शुभ शर्वरी !


अरविंद पाण्डेय
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गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

दिल भी खिले जो चाँद सा तो बात बने




श्रीकृष्णार्पणमस्तु

खिलता है हर इक रोज़ चाँद आसमान में .
दिल  भी  खिले  जो चाँद सा तो बात बने .

मिलता है हर इक रोज़ फलक इस ज़मीन से 
इन्सां  से  जो  इन्सां   मिले  तो  बात  बने 


अरविंद पाण्डेय
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रविवार, 31 मार्च 2013

मोमिन है वो जो मस्त मौसिकी की मय पिए.



आमीन
कुछ लोग पिया करते हैं मयखाने की शराब ,
मोमिन है वो जो मस्त मौसिकी की मय पिए.

पीने पे सभी को नशा होता है, मेरे दोस्त,
पीता वो अस्ल में, जो है नशे में बिन पिए.


अरविंद पाण्डेय
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शुक्रवार, 29 मार्च 2013

कान्हा न माने Samiksha Nandita sing Holi Song




Happy Holi to all Music Lovers !!
Traditional Holi Song , Composed by Aravind Pandey and Sung by Samiksha Pandey and Nandita Pandey ..


अरविंद पाण्डेय 
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गुरुवार, 28 मार्च 2013

जो हर बेरंग को रँग दें , वो दुनिया जीत लाते हैं '




श्रीकृष्णार्पणमस्तु

चलो होली में तुमको इक अजब दास्ताँ सुनाते हैं 
बहुत लंबा नहीं बस, एक मिसरा गुनगुनाते हैं-
' न अब है वक़्त कोई जंग तलवारों से लड़ने का
जो हर बेरंग को रँग दें , वो दुनिया जीत लाते हैं '

सभी मित्रों को होली की मंगल कामनाएं 

अरविंद पाण्डेय 
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मंगलवार, 26 मार्च 2013

मन में शिव-संकल्प सदा हो....




तन्मे मनः शिवसंकल्प मस्तु 

गगन बना करता है साक्षी 
प्रतिदिन चन्द्र-उदय का .
किन्तु , मनुज के अंतर में 
फिर, क्यों बादल है भय का. 

मन में शिव-संकल्प सदा हो,
वाणी में मधु-विन्दु .
तभी ह्रदय में उदित 
हुआ करता आनंदित इंदु . 



अरविंद पाण्डेय 
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रविवार, 24 मार्च 2013

भगत, सुखदेव अब कभी न यहाँ आएगें







23 मार्च 
इन्कलाब जिंदाबाद 
  
दिया जला के शहादत का, हमको छोड़ चले 
हुए फना, पर, आँधियों का भी रुख मोड़ चले 

मगर सोचा न था-ऐसा भी वक़्त आएगा 
बस एक दिन ही भगत याद हमें आयेगा 

हर एक बाप ये सोचेगा कि उसका बेटा 
कहीं अशफाक,भगत सा न ज़िन्दगी दे लुटा 

हर एक नौजवाँ सलमान की तस्वीर लिए 
बस,उस जैसा ही बन के जीने के लिए ही जिए 

किया है हमने जो सलूक शहीदों से,सुनो 
उसे न माफ़ ये तारीख करेगी , सुन लो 

जो लूटते हैं मुल्क को वो मुस्कुराएगें 
भगत, सुखदेव अब कभी न यहाँ आएगें 


अरविंद पाण्डेय 
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बुधवार, 20 मार्च 2013

ढलेंगें हम न कभी,हमको यूँ ही चलना है




चरैवेति 
अगर अवाम के तन पर नहीं कपडे होंगे
अगर गरीब हिन्दुस्तान के भूखे होंगे
समझ लो फिर ये आज़ादी अभी अधूरी है
अभी मंजिल में और हममे बहुत दूरी है

हो सुबह,रात हो या गर्म दुपहरी की तपिश
हमें हर हाल में मंजिल की ओर बढ़ना है 
ढले महताब, सितारे या शम्स ढल जाए
ढलेंगें हम न कभी,हमको यूँ ही चलना है



अरविंद पाण्डेय
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शुक्रवार, 15 मार्च 2013

जय जय जय जयति परावाणी




जो वाणी, परिनिष्ठित ऋत में ,
वह वाणी, सिद्ध परावाणी ! 
क्षण क्षण जो क्षरण-शील कण है,
वह  अक्षर  करे,  परावाणी !

बिखरी वैखरी विकल जो है ,
वह वाणी अविरत है आकुल ,
वीणा सी जो झंकार करे ,
जय जय जय जयति  परावाणी

अरविंद पाण्डेय
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सोमवार, 4 मार्च 2013

वक़्त के पहिये के नीचे पिस रही हर शय यहाँ...




थक चुके हों गर कदम,फिर भी तुझे चलना ही है. 
हो बहुत गहरा अन्धेरा,शब को, पर, ढलना ही है. 
वक़्त के पहिये के नीचे पिस रही हर शय यहाँ. 
आज जो सरताज,कल मुफलिस उसे बनना ही है. 


अरविंद पाण्डेय 
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बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

मुझे तो चाहिए बस आज वही हिन्दुस्तां.



हर एक दिल में ही जब ताजमहल सजता हो.
हर एक शख्स ही जब शाहजहां लगता हो.
हर एक दिल में हो खुदा-ओ-कृष्ण का ईमां.
मुझे तो चाहिए बस आज वही हिन्दुस्तां.


अरविंद पाण्डेय
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रविवार, 10 फ़रवरी 2013

गर, हमारे सर की तरफ,आँख उठा देखोगे,..



गर, हमारे सर की तरफ,आँख उठा देखोगे,
तो सुन लो - हाँथ भर की रस्सी के फंदे में,
तुम अपने सर को लटकता हुआ भी देखोगे. 

अरविंद पाण्डेय 
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बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

जीवन बस यूँ ही चलता है .




ॐ आमीन 

जीवन बस यूँ ही चलता है .

कुछ खोता,फिर, कुछ पाता है,
पाकर ज्यूँ ही इठलाता है,
दो पल चमक चमक कर सूरज,
बेबस हो, यूँ ही ढलता है ,

जीवन बस यूँ ही चलता है  ..



अरविंद पाण्डेय
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शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

मेरी नई पुस्तक

 द्वारा प्रकाशित 

हम बिहार के बच्चे हैं.

ये पुस्तक बिहार के स्कूलों में बच्चों के बीच बिहार भक्ति आंदोलन ट्रस्ट द्वारा निःशुल्क बाटी जायेगी .... To Get this BOOK Free on internet, kindly click and download : नीचे लिंक क्लिक कीजिये....


अरविंद पाण्डेय 
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गुरुवार, 31 जनवरी 2013

टूटे हुए कुछ ख्वाब, हों कुछ पूरी मुरादें,




सुप्रभात और नमस्कार सभी मित्रों को...आज की परावाणी आपके लिए :

है कौन वो सपने न रहे जिसके अधूरे,
ख़्वाबों के महल जिसके हुए हूबहू पूरे.
टूटे हुए कुछ ख्वाब, हों कुछ पूरी मुरादें,
दोनों को लिए साथ, तू बढ़ता चला जा रे.

अरविंद पाण्डेय 
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शनिवार, 26 जनवरी 2013

अब मोहम्मद मुस्तफा तशरीफ लाये हैं.



चांदनी ने हर तरफ़ चादर बिछाए हैं
अब मोहम्मद मुस्तफा तशरीफ लाये हैं.

नूर का दरिया बहा चारो तरफ़ देखो
प्यारे पैगम्बर मोहम्मद मुस्कुराए हैं

चौदवीं के चाँद सा जो मुस्कुराते हैं
वो हमारे दिल पे छाने आज आए हैं

हर तरफ़ छाई अमन-ओ-सुकून की खुशबू
प्यारे मोहम्मद करम बरसाने आए हैं

-- अरविंद पाण्डेय


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गुरुवार, 10 जनवरी 2013

यही वक़्त है लटका दो अफ़ज़ल गुरु भी, देश मेरे !




यही वक़्त है लटका दो अफ़ज़ल गुरु भी, देश मेरे !
आज रात ही उन्हें बता दो अपनी ताक़त, देश मेरे !
उन सब को दो, देश निकाला,जो उनके हमदर्द यहाँ,
सरकश के दर सर झुकता है जिनका,उनको,देश मेरे!


आज गांधी यही कह रहे हैं सुभाष के साथ , सुनो-
बनो नहीं अब और अहिंसक तुम, सीमा पर,देश मेरे !


अरविंद पाण्डेय