शनिवार, 31 मार्च 2012

श्री राम,लोक-अभिराम,सतत-निष्काम,सर्व-नयनाभिराम




जय जय श्री रामनवमी 


१ 

श्रीराम,लोकअभिराम,सततनिष्काम,सर्वनयनाभिराम.
शीतल-तुषार-सिंचित-इन्दीवर-दीपित-शुभ-सर्वांग वाम.
मर्यादा-पुरुषोत्तम,निकाम-पौरुष-परिपूर्ण,पवित्र-नाम .
शतकाम-सदृश सौन्दर्यधाम,वरदान करें-मन हो अकाम.

२ 

अम्बर निरभ्र, तरणि-किरणों से संदीपित.
पवन , सुकोमल मधु-गंध से सुवासित है.
नवमी - मध्याह्न भौमवासर शुभंकर -तिथि ,
जन-मानस प्रमुदित, पशु-पक्षि-दल पुलकित है. 
जिनके चरण-तल में शत-कोटि सूर्य-चन्द्र ,
शत शत ब्रह्माण्ड भी अनादि काल-कल्पित हैं.
वे ही अनंत, अव्यक्त अपरिमेय राम,
कौशल्या-अंक में बालक बन प्रफुल्लित हैं.

(यह सवैया छंद में रचित है )



© अरविंद पाण्डेय