बुधवार, 28 मार्च 2012

तुम्हें कौन सा कुसुम चढाऊं..

कृष्णं वंदे 

तुम ही पुष्पों में परिमल बन महक रहे हो,
तुम्हें कौन सा कुसुम चढाऊं..
जिसकी सुरभि न तुम्हें मिली हो,
ऐसा फूल कहाँ से लाऊं.


तुम भास्कर बन सकल जगत को भासित करते,
तुम्हें कौन सा दीप दिखाऊं,
जो तुमको प्रकाश से भर दे ,
ऐसा दीप कहाँ से लाऊं..


श्रीजगदम्बार्पणमस्तु 


© अरविंद पाण्डेय

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