सोमवार, 11 जुलाई 2011

मुक्त आज मैं, जीवन की प्रतिकूल वेदनाओं से,


हृदय बना है सेतु आज जिस पर अम्बर से आकर.
चन्द्र, सूर्य, तारक आनंदित, धरा-भ्रमण करते हैं.
मुक्त आज मैं, जीवन की प्रतिकूल वेदनाओं से,
संसीमित यह तन,असीम का अमृत-भोग करता है.

अरविंद पाण्डेय