गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

कभी खाब में बोल उठा मैं ..


कभी मुझे पंडित ऩे समझा,
मैं , मंदिर जाने वाला. 

कभी मौलवी का गुमान था ,
मैं , कुरान पढ़ने वाला.

कभी खाब में बोल उठा मैं 
अल्लाहुम , गोविन्द कभी,

सभी तरह की मदिरा से 
महकी है, मेरी  मधुशाला.

-- अरविंद पाण्डेय 

3 टिप्‍पणियां:

  1. शिव सहिंता में ये कहा गया हैं ,,,
    एकः सत्यः पुरीतानन्दरूपः ,पूर्णो व्यापि वर्तते नास्ति किञ्चित् |
    आत्मा एक सत्य ,आनन्दमय ,पूर्ण एवं सर्व व्यापक हैं और जो जीवन के इस रहस्य को जान लेता हैं
    और जो आत्मा पति-पल इस सुख क अनुभव करती हैं वो इस संसार के सारे दुखों से मुक्त हो जाती हैं
    और आप के जीवन की ये मधु शाला इसी परालोकिक आनंद की साक्षी हैं ,,,,,,,,,,,,,,,,,
    हमें इसी आनंद के साक्षी बनाए रखे |

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