गुरुवार, 29 सितंबर 2011

माँ तुम एक, प्रतीत हो रहीं , पर, अनेक तुम.





ॐ नमश्चंडिकायै

नारी का नारीत्व, पुरुष का पौरुष हो तुम.
कुसुम-सुकोमल और अशनि के सदृश परुष तुम.
सर्व-व्याप्त हो, सर्वमयी हो किन्तु एक तुम.
माँ तुम एक, प्रतीत हो रहीं , पर, अनेक तुम.

Aravind Pandey 

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