शनिवार, 6 अगस्त 2011

मगर, मेरी तो बस इतनी सी एक ख्वाहिश है.

(26 जनवरी २००५ . समादेष्टा .बिहार सैन्य पुलिस .पटना )


वन्दे मातरं ..

किसी में आरजू होगी कि चाँद पर जाए.
किसी में जुस्तजू होगी कि चाँद खुद आए.
मगर, मेरी तो बस इतनी सी एक ख्वाहिश है.
कि जान जाय तो बस मुल्क के लिए जाए..




अरविंद पाण्डेय 

7 टिप्‍पणियां:

  1. काश देश के हर नागरिक की सोच ऐसी ही हो जाये !

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  2. अगर कुछ और लोगों में भी ऐसा ही जज़्बा हो तो देश की दशा ही सुधर जाए ... आपके लेखन से देशभक्ति की भावना और जागृत हो रही है ...!!
    सुंदर एहसास .

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