गुरुवार, 9 जून 2011

''सेना'' की आवश्यता क्या ,सेनाएं सभी हमारी हैं.


''सेना'' की आवश्यता क्या  ,सेनाएं सभी हमारी हैं.
जल,थल,अम्बर में शान्ति हेतु अपनी पूरी  तैयारी है.
ये पुलिस,अर्ध-सैनिक बल भी अपनी रक्षा के लिए बने  .
तुम बढ़ो अहिंसा के पथ पर , नेतृत्व इसे अपना देने .

निज संविधान में,हम भारत के लोगों ने उपबंध किए.
जो विधि-विधान का अनुसारी,वह जन,बिलकुल स्वच्छंद जिए.
निर्वाचन अपना कुरुक्षेत्र, मतदान शस्त्र अपना घातक . 
फिर, करो प्रतीक्षा धीर,बढ़ो पथ पर,विवेक के साथ,अथक.

यह  देश, कृष्ण के कर्मयोग की श्वास लिए जीवन जीता .
अमिताभ बुद्ध के आर्य-सत्य का जल,प्रतिदिन सुख से पीता.
इस्लाम हमारा है शरीर ,  वेदान्त हमारी आत्मा है.
इस  दुनिया में हमने देखा जन-जन में बस,परमात्मा है.

हमलोग मनुज में प्रकट हुए परमात्मा का पूजन करते .
अस्तेय,अहिंसा ,सत्य ,शौच ,अपरिग्रह को धारण करते.
कण-कण,जन-जन हो भय-विमुक्त,बस यही हमारी  निष्ठा है.
बस, इन्हीं गुणों से विश्व-मंच पर अपनी दीप्त प्रतिष्ठा है.


-- अरविंद   पाण्डेय     

8 टिप्‍पणियां:

  1. विश्व सदन है,
    प्रेम गहन है,
    जीकर देखो,
    यह जीवन है।

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  2. भारतीय सेना के गौरव पूर्ण वर्णन एवं भारतवर्ष के जन-जन की आवाज़ आपके इस बहुत ही सुंदर कविता में हैं ......जय हिंद !!!!!!!

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  3. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 14 - 06 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    साप्ताहिक काव्य मंच- ५० ..चर्चामंच

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  4. ओजपूर्ण एवं एवं मर्मस्पर्शी रचना !
    हार्दिक शुभकामनायें !

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  5. बहुत ओजपूर्ण और सार्थक प्रस्तुति..

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  6. बहुत ओज़स्वी रचना ... आत्मिक बाल देता है ऐसी रचनाओं को पढ़ना ...

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  7. Pandey ji,
    sunder rachana ke liye subhkamanayen,kintu-

    maton aur matdataon ka apaharan jahan hota hai,
    jahan sainya ayudh bal ka bhee durupayog hota hai'
    vahan niji senayen to nit nayee khadi hongee hee,
    jab akrosh ubalata hai to aisa hee hota hai.

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