शुक्रवार, 3 जून 2011

हरिक लड़की,अगर ताकत है,फिर देवी सी दिखती है.



अकेले वो पडा करता है जो कमज़ोर होता है.
ये जो कमज़ोर,वो लड़की या फिर लड़का नहीं होता.
हमारे मुल्क में ही हैं करोड़ों लडकियां ऐसी .
कि जिनके सामने ''लड़का'' हो पर,''लड़का'' नहीं होता.

हरिक लड़की, अगर ताकत है, फिर देवी सी दिखती है.
अगर ''औरत'' का हो कुछ फख्र,फिर,तकदीर लिखती है.
हरिक चौराह पर लडके उसी का ज़िक्र करते हैं.
हरिक महफ़िल में बस उसकी हसीं  तस्वीर सजती है.

12 टिप्‍पणियां:

  1. हरिक महफ़िल में बस उसकी हँसीं तस्वीर सजती है.
    nice poem
    http://shayaridays.blogspot.com

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  2. बहुत ही अच्छी रचना हैं , हरिक ''लड़का'' देवता समान और हरिक "लड़कियाँ" देवी समान होती हैं ...धन्य हैं आपकी यह कविता !!!!!!

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  3. आज तो "देवी के प्रसाद "सी लग रही है आप की कविता ...
    बहुत सुंदर विचार ..और सुंदर लेखन ...!!

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  4. I request you to please visit my blog and leave your honest opinion .
    thank you.
    http://anupamassukrity.blogspot.com/2011/06/blog-post.html#links

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  5. बहुत ही बढ़िया ..पढ़ कर मज़ा आ गया !
    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - अज्ञान

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  6. aapke ye lekhh sachmuch adutiyeee hai...!!! dhany hai aaap aur ye bhihar ki dhrti...!!!

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  7. अकेले वो पडा करता है जो कमज़ोर होता है...
    अद्भुत .... अभी इसकी सख्त जरूरत थी मुझे ...
    धन्यवाद ...

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  8. blog par comment karne k liye bahut bahut dhanyavad apke dwara likhi gayi rachna bahut khoobsurat lagi.

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