शनिवार, 28 मई 2011

सावरकर को शत बार नमन.




अंग्रेजों के वक्षस्थल पर जो गरज उठा - हम हैं स्वतंत्र .
''अत्याचारों के नाश हेतु अब क्रांति उचित''-का दिया मन्त्र.
अपनी बन्दूको से फिर तो थी बरस  उठी गोली घन घन.
उस अमर विनायक दामोदर सावरकर को शत बार नमन.

-- अरविंद पाण्डेय 

6 टिप्‍पणियां:

  1. जिस परिवार के तीन पुत्रों ने स्वातन्त्रय यज्ञ में स्वयं की आहुति दे दी हो, उन्हे देश की राजनीति ने भुला दिया। यह देख कर अब कौन आहुतिचढ़ायेगा।

    जवाब देंहटाएं
  2. सशक्त शब्दों की श्रद्धांजलि देने के लिये आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. भारतवर्ष के अमर विनायक दामोदर सावरकर को शत शत बार नमन!!!!!!

    जवाब देंहटाएं

आप यहाँ अपने विचार अंकित कर सकते हैं..
हमें प्रसन्नता होगी...