शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

''अस्त'' ''व्यस्त' ''आसक्त''



''अस्त'' किसी के लिए  वहीं  पर, 
किसी के लिए अतिशय ''व्यस्त''
है ''सन्यस्त'' किसी के प्रति,पर, 
किसी के लिए अति  ''आसक्त'' 

एक व्यक्ति में व्यक्त हो रहे,
एक समय ही कितने रूप.
सतत परिणमन-शील जगत में 
माया की है शक्ति अनूप. 



----अरविंद पाण्डेय

7 टिप्‍पणियां:

  1. sometimes words just describe our innermost feelings...
    some people can read it too well!!!

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  2. परम आदरणीय सर, अति उत्कृष्ट रचना हैं ....जय हिंद !!!!!!

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  3. माया की है शक्ति अनूप ...
    सब माया के दास हो गए हैं ...!

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  4. जीवन दर्शन से परिपूर्ण सुंदर कविता के लिए बधाई।

    ‘परावाणी’ में मेरे विचार पढ़ें और अपने लेखन को ‘परावाणी’ में भी गति प्रदान करें।
    शुभकामनाएं !

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  5. अगर कोई स्वयं पर संयम रखे तो हर व्यक्ति में स्थित उसके अनेक रूपों का दर्शन कर सकता है । इस अलौकिक सुख का उपभोग विरले ही कर पाते हैं ।

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  6. आदरणीय अरविन्‍द जी

    आप का संस्‍कृतलेखन अति निर्दोष व सरल है ।
    यदि आप भी जालजगत पर संस्‍कृतभाषा के प्रसार में हमारा सहयोग दें तो संस्‍कृतभाषा पर आपका उपकार होगा ।

    यदि आप सहमत हों तो कृपया हमें अपना ईमेल आईडी दें जिससे हम आपको संस्‍कृतम्-भारतस्‍य जीवनम् ब्‍लाग के लेखकत्‍व का निमन्‍त्रण भेज सकें ।

    भवदीय: आनन्‍द:
    pandey.aaanand@gmail.com

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  7. Fascinating Personality, Straight Profile, Patriotic Soul & Fearless Poems - Everything is Great Sir ....... you are truly a worthy son of BHARAT MATA .Salute You , HARE KRISHNA ! - Akash Sharma, HARIdas

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