गुरुवार, 20 जनवरी 2011

तुझ सा नहीं कोई है माँ ! दोनों जहान में.


जगती हूँ अंधेरों में सुलाने को तुझे मैं.
खूँ से बनाती दूध, पिलाने को तुझे मैं.
घुल घुल के खुद,तुझे जो बड़ा कर रही,बेटे !
रोते हुए हर शय को हंसाने के लिए मैं..
2
तेरे पहलू में जो आंसू हैं बहाए मैंने.
उसी से पोछता औरों की आँख के आंसू.
तेरे पहलू में , काश, फिर मेरे बहते आंसू .
ऐ मेरी माँ ! तू बस इतनी सी इनायत करना .
3
दुनिया तो मिल गई है, मगर तू चली गई.
ऐ माँ ! ये ज़िंदगी तो मेरी यूँही ढल गई.
इक बार जो मालिक से मैं, ऐ काश,मिल सकूं.
बदले में ज़माने के, मेरी माँ, तुझी को लूं.
4
मुझ सा तो करोडो मिलेगे इस जहान में.
तुझ सा नहीं कोई है माँ ! दोनों जहान में.
5
एक ओर है दिनभर की मजदूरी औ' चेहरे पर धूल.
और दूसरी ओर खिला रहा मुख पर ज्यो गुलाब का फूल.
मिटे फर्क यह, और सभी स्त्री का जब हो रूप समान.
तब चमकेगा दुनिया में अपना महान यह हिन्दुस्तान.
6
पति-पत्नी हों उमा-महेश्वर सदृश अर्धनारीश्वर.
यही चतुर्थी-व्रत का फल है,बने प्रेम अविनश्वर.
प्रेम, चतुर्थी-चन्द्र सदृश कुछ क्षीण भले दिखता है.
किन्तु,अंत में पूर्ण-चन्द्र सा शीतल बन खिलता है.
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ये कविताएं फेसबुक में मेरे द्वारा सृजित पेज --
I am Woman-I Created Man:मैं नारी हूँ नर को मैनें ही जन्म दिया
में समय समय पर लिखी गईं थीं.इन्हें एक साथ ब्लॉग पर प्रस्तुत करने की इच्छा हुई क्योंकि आज दिव्य-मातृत्व के भाव-बोध में रहा मैं..
पेज का लिंक नीचे है..
-- अरविंद पाण्डेय 

5 टिप्‍पणियां:

  1. परम आदरणीय सर , बहुत ही प्यार भरी यह कविता हैं , माँ और बेटे की प्रेम की बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ हैं , माँ के आंसू तो ऐसे भी अनमोल हैं ना सर ....जय हिंद !!!!!!

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  2. अद्भुत .... आज के इस वासनाप्रधान दुनिया में .वात्सल्यता को उजागर करने वाली ऐसी कविताएँ बहुत कम मिलती हैं .......

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  3. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति |माँ का महत्व तो सात जन्मों तक नहीं भुलाया जा सकता |
    बधाई
    आशा

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  4. R/Sir,
    aapki kavita ko padha.anmol man ki tarah aapki kavitya bhi anmol hai.har sachche bete ki or se apni man ko samarpit hai.Saroj,DySP

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