रविवार, 7 नवंबर 2010

मेरी बहन ! मैं बहुत दूर हूँ मगर, फिर भी ..

भैया दूज : भ्रातृ-द्वितीया:

मेरी बहन ! मैं बहुत दूर हूँ मगर, फिर भी,
तेरे करीब मेरी रूह पहुँच जाती है.
किसी को याद करूं या न कर सकूं लेकिन,
हरेक पल तेरी दुआ की  याद आती है.

तेरे रुखसार से रुखसार मेरा मिलता है,
तेरे रुख़ से ही मेरा रुख़ भी बदल जाता है.
तेरी नज़र ही मेरी बद-नज़र मिटाती है,
मेरा दिल भी तेरे ही दिल की तरह गाता है.
-------------------------------

I Bow to My Sisters today and Dedicate these lines in their honor who prayed at the time when I was being Interviewed in a Room of UPSC , Delhi.. and , Their pure prayers were accepted .. 

I came out of the Interview room as an IPS officer in first Attempt.!!


-- अरविंद पाण्डेय