शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

अतः , आज शिव-शक्ति समन्वय, मानव को करना है..




यह संसृति, सुव्यक्त  रूप है उस निगूढ़ सत्ता    का 
जो प्रत्येक परमाणु -खंड में प्रतिपल व्याप  रही  है 
करना  है नर  को अन्वेषण , दर्शन  उस सत्ता  का.
इसी हेतु, प्रति व्यक्ति विश्व के तल पर व्यक्त हुआ है 

निखिल जगत के सूक्ष्म-तत्व का पर्यालोकन करके
मानव को निज का विशुद्ध शिव-रूप प्राप्त करना है  
है विज्ञान सहायक इसमें ,पर  उसमें भी त्रुटि है.
नव विज्ञान शिवत्व-रहित है, ईर्ष्या-द्वेष सहित है 

शिव के अपमानित होने पर शक्ति नष्ट करती है .
निज शरीर को तथा अनादर-कर्ता निज स्रष्टा को.
शक्ति-नाश से शंकर भी प्रलयंकर बन जाता है .
अतः आज शिव-शक्ति समन्वय, मानव को करना है .


शक्ति प्राप्तकर नर यदि उसको शिव-मंडित करता है 
तभी बन सकेगा वह सबसे श्रेष्ठ बुद्धि के बल से.
पुरुष-कामना पूर्ण करेगी प्रकृति सदा स्वेच्छा से.
अखिल विश्व में मानवता का जय- निनाद बिखरेगा ..
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यह स्तुति मैंने १९८० में लिखी थी किशोरावस्था में ..
शिव का अर्थ कल्याण और शक्ति का अर्थ ऊर्जा..
भारत, ऊर्जा और आत्मा - दोनों को सत्य और चेतन मानता है ..
और इसीलिये शिव-शक्ति के समन्वय और उनके विवाह का पर्व मनाते हैं हम ..
विज्ञान द्वारा ऊर्जा अर्थात शक्ति का विवाह शिव अर्थात कल्याण के साथ न किये जाने के कारण परमाणु बम का जन्म हुआ ..
परमाणु में  निहित अनंत ऊर्जा मानव कल्याण के लिए प्रयुक्त होनी थी परन्तु विज्ञान ने उसका प्रयोग मानव नरसंहार के लिए किया ..
यह विज्ञान के इतिहास का सर्वाधिक कलुषित अध्याय है ..

जगत्पिता  शिव और जगन्माता पार्वती के विवाह - दिवस महाशिवरात्रि  का संकल्प -- 
 '' अतः , आज शिव शक्ति समन्वय मानव को करना है '' 



ब्लॉग में पूरी कविता पढ़ें और ब्लॉग में अपनी टिप्पणी भी लिखने का कष्ट करें .
----अरविंद पाण्डेय

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही ज्ञानवर्धक रचना.....शिव शक्ति समन्वय मानव कर सकता है . अगर हम मानव पलायनवाद, कर्मकांड, अंधविश्वास को छोड़ दें तो ज्ञान और विज्ञान का समन्वय संभव है...

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  2. जगतपिता शिव और जगतमाता पार्वती के विवाह के दिन का संकल्प जरूर ही पुरा होगा !!!!!!
    जय जगतपिता शिव , जय जगतमाता पार्वती !!!!!!!

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  3. society knows only the cruel face of police specially in bihar. but i change my view on police after reading your profile and also your poems. you are the moral face of police.

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  4. आदरणीय सर , आपने आज जो मेरे परम प्रिय भोलेनाथ क़ी आराधना में जो भजन "भोले ओ भोले" गाने में जो आपका अदभुत स्वरुप था गाने का उसका मैं वर्णन नहीं कर पा रहा हूँ , वह रूप से मैं जान गया क़ी आपकी असीम शक्ति का क्या राज है ?
    जय भोलेनाथ ...

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