शुक्रवार, 16 जनवरी 2009

अब तो सुबह होने को है ..



वक्त की गहरी परतों में दबे हुए हमारे अतीत
और वक्त की एक एक कर उतरती परतों के बीच से
हसीन सुबह की मानिंद हमें निहारता
और अपने पुरइश्क रुखसार की झलक देने को बेताब
हमारा भविष्य
कह रहा हमसे --

कि वक्त बेपरवाह न था कभी तुमसे
तो तुम भी वक्त से न रहो बेपरवाह

कि इश्क - ए - मिजाजी में डूब कर तो देख लिया
न कुछ ले पाये किसी से, न किसी को कुछ दिया

तो अब इश्क - ए- वक्त में भी तो डूब कर देखो--
फ़िर , अपने ही किए कराए पर,
लब पर तुम्हारे, न होगी कभी आह

दिल को इतना रोशन रखो
कि तुम्हारे होते किसी ज़िंदगी की सुबह ,
न हो कभी स्याह

कि हो कोई बेसहारा
पर तुम्हारी नज़रों के सामने
न हो कभी बेराह

कि गुलशन में खिले हुए गुल
ख़ुद को न समझे कभी बेपनाह

क्योकि,
ये वक्त है हर फूल के खिलने का
ये वक्त है हर बेराह को राह मिलने का
ये वक्त है हर स्याह दिल में रोशनी दिखने का

क्योकि

अब तो सुबह होने को है
अँधेरा ख़ुद ब ख़ुद खोने को है



----अरविंद पाण्डेय

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर रचना है.
    आज ही इबीबो पर मिले हैं हम.
    बहुत अच्छा लगा मिल कर और तुम्हारी कवितायें पढ़ कर.

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  2. अरविन्द जी नमस्कार,
    बहोत ही उम्दा रचना पढ़ने को मिली आपके ब्लॉग पे बहोत खूब लिखा है आपने एक मार्गदर्शन दिया है कविता के मध्यम से आपने ढेरो बधाई कुबूल करें...मेरे ब्लॉग पे भी आए आपका ढेरो स्वागत है...

    अर्श

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  3. आशावाद कहें या सच्चाई, हर रात की सुबह होती है, और फ़िर अन्धेरा दूर करने के लिये मेहनत करना नहीं पडती. एक सुबह की स्वर्णिम किरण ही काफ़ी है.

    सून्दर अभिव्यक्ति !!

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  4. Ham toot jate hain ek ghar banane men aur kuchh aah tak nahi bharte bastiyan jalane men.
    Sanjiv Kumar
    KSDS Software

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  5. Ham toot jate hain ek ghar banane men aur kuchh aah tak nahi bharte bastiyan jalane men.
    Sanjiv Kumar
    KSDS Software

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  6. अब तो सुबह होने को है
    रात खुद रोने को है
    ये बात अच्छी लगी

    जवाब देंहटाएं
  7. BUJHI HUI SAMA JAL SAKTI HAI, TOOFAN KE HAD SE KISTI NIKIL SAKTI HAI, MAUSH NA HO IRADE NAA BADAL TAKDIR KABHI BHI BADAL SAKTI HAI ====AMOD KUMAR

    जवाब देंहटाएं
  8. THANK YOU VERY MUCH SIR FOR GIVING GOOD DIRECTION ON YOUR BLOG SIR - AMOD KUMAR

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  9. अरविन्द जी ,
    अब तो सुबह होने को है....बहुत ही सकारात्मक रचना .
    सुंदर कृति के लिए बहुत बहुत
    बधाई.

    जवाब देंहटाएं

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