बुधवार, 10 दिसंबर 2008

तू प्रणय की रागिनी बन बस गयी मेरे हृदय में....




तू नही वह देह जिसको खोजता मै
 देह हैं बिखरी हुई संसार में

तू महक मदमस्त फूलों की , जिसे पाना कठिन है
 तू चमक उस दामिनी की जिसका बुझ पाना कठिन है

तू वसंती वायु जिसका असर अब जाना कठिन है
 तू ग़ज़ल कोयल की जिसके सुर भुला पाना कठिन है

तू प्रणय की रागिनी बन बस गयी मेरे हृदय में ,
 बंद है अब द्वार सारे , अब तेरा जाना कठिन है ..


----अरविंद पाण्डेय

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