सोमवार, 1 दिसंबर 2008

कब तलक जीतोगे तुम,हारेगा जब हिन्दोस्तां--






कब तलक जीतोगे तुम , हारेगा जब हिन्दोस्तां,
अब तो पौरुष की प्रबल ज्वाला भडकनी चाहिए।

कल तलक जो भीड़ के सिरमौर बनकर थे खड़े ,
अब भी अखबारों में वो तस्वीर दिखनी चाहिए ।

दिव्य भारत भूमि की जिस कोख ने हमको जना,
कुछ करो - उस कोख की तो लाज बचनी चाहिए ।

जिस ज़मीं का जल, रगों में खून बन कर बह रहा ,
उस ज़मी की, खाक में, इज्ज़त न मिलनी चाहिए ।

जो वतन की रहजनी के ख़ुद ही जिम्मेदार हैं ,
उनके ऊपर सुर्ख आँखें, अब तो, तननी चाहिए ।

जो शहीदों की शहादत का करें सौदा कभी,
उनके आगे अब कभी आँखें न झुकनी चाहिए ।

आज जो खामोश हैं वो कल भरेंगें सिसकियाँ ,
इसलिए, हर शख्स की बाहें फडकनी चाहिए।

बात जो हिंदुत्व की , इस्लाम की , करते बड़ी
उनके पाखंडी जेहन की पोल खुलनी चाहिए ।

शक्ल इंसानी , मगर दिल है किसी शैतान का
उन रुखों की असलियत, दुनिया को दिखनी चाहिए ।

बह गया पौरुष सभी देवों का फ़िर से एक बार ,
अब , ज़मीं पर फ़िर कोई दुर्गा उतरनी चाहिए ।
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मुझे याद आ रहा है कारगिल युद्ध --जब कारगिल
के कातिलोंको , देशभक्त होने का दावा करने वालों
ने , बहत्तर घंटे तक , भाग जाने का खुला
रास्ता देकर , कारगिल के पाँच सौ से अधिक
शहीदों की शहादत का अपमान किया था --
मुझे याद आ रहा है वह दिन, जब एक
अरब की जनसंख्या वाल्रे इस देश के
रहनुमाओं ने कंधार , जाकर देश पर हमला
कराने और करने वालो को मुक्त किया था ।
वही लोग दाउद को सौपने की मांग कर रहे हैं ।
मगर , क्याये नेता इस बात की गारंटी देंगें
कि ये फ़िर दाउद को लाहौर या कंदहार
जाकर नही छोड़ आयेंगे ? भारत के वे
सभी वाक्पटु और टी.वी. स्टार के रूप में
पहचाने जाने नेता
टी.वी. के परदे से गायब हैं ।
आतंकवादियों के साहस और शौर्य से हतप्रभ
ये लोग शायद ख़ुद के बारे में ज़्यादा
सोच रहे है कि कौन सी राजनीति करे
कि हम भारत के लोग , इनसे वह सवाल
करना भूल जाय
जो अभी एकस्वर से कर रहे हैं ।
पर ये सभी जान रहें हैं कि युद्ध अभी कुछ
देर के लिए ही
रुका या रोका गया है ।
इसलिए शायद इन्हें यह सद्बुद्धि आए कि ये लोग
वह सब करने से बचेंगें जो करने की
इनकी आदत रही है ।
शहीद हेमंत करकरे की पत्नी और शहीद संदीप
उन्नीकृष्णन के पिताने देश को बताया है
कि अपनी कुर्सी के लिए देश के मूल्यों
की ह्त्या करने वालों को अगर दंड नही दे सकते
तो उनसे न मिलकर, ये बता सकते हैं कि आप
किसी शहीद को सम्मानित करने के योग्य नही ।
हिंदुत्व का पुरोधा होने का दावा , दिखावा करने
वाले नरेंद्र मोदी को यह भी नही मालूम
कि किसी हिंदू के घर , अकाल मृत्यु
होने पर , उस दुर्घटना में विधवा हुई स्त्री के
पास एक करोड़ रूपया लेकर जाना और तब
उसे सांत्वना देना शास्त्र-विरुद्ध
आचरण है ।
मगर यह सब हो रहा है । तो आइये एक नए भारत
निर्माणके लिए कुछ नया चिंतन करे ।
नया सृजन करें ।
शुद्ध और सशक्त विचारों से एक नया रास्ता बनाए ।



---- अरविंद पाण्डेय

9 टिप्‍पणियां:

  1. ITS CORRECT...THE SENSE PREVAILS...BUT WHAT IS THE RATIO...WE NOT ONLY NEED A DURGA BUT ALSO AN ARMY...THE ONE WHICH HAS THE INNERMOST DESIRE FROM THE VERY WITHIN...TO PROVE THEMSELVES...U PROVE URSELF...U PROVE TO THE WORLD THAT U R AN INDIAN...NOT AN INDIAN..."THE INDIAN"...JAI HIND...JAI BHARAT...

    "LOOK INTO THE EYES
    OF NOT THE WRETCHED
    AND THE LEAN MEAN
    BUT YOU.
    CAN YOU SEE ANYTHING
    YES YOU CAN SEE
    FULL OF FEAR AND HATRED
    NON AGAINST BUT YOU."

    REMOVE THIS AND MAKE INDIA PROUD.

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  2. आपकी कविता बेहद उत्प्रेरक है। पढ़कर तन, मन में जोश पैदा हो जाता है। भुजाएं फड़कने लगती हैं।

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  3. mumbai ki shuruaat bhi isi bihar se hui thi jab sakro log narsanhaar dar narsanhaar maare jaa rahe the.tab saare karorpati bihari gaon ko chhor kar patna bhag gaye ki shahar safe hai. unke bachche MNC me mumbai. Mai itna hi kahungaa ki hum logo koyeh samajhnaa hoga ki 2 rupayya per head per day kaa naxali chandaa, afim ganje ka vyapaar, Nakali noto kaa vyapaar, har woh deshi pistol jiske mul srot par pulice kabhi prahaar nahi karti,hamaare pocket me ane waali har kali chawanni, Lal Batti gariyo ka misuse ------------- yeh sab ek hi Mumbai k Danav ke alag-alag ang hai.aur once again mujhe mumbai attack par dukh jarur hai lekin ascharya nahi.deshwaasi wahi bharenge naa jo karenge.vote dete samay yahi deshwaasi bhul jayenge sab baate aur usi BJP aur Congress me apni Jaat khojenge

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  4. mumbai ki shuruaat bhi isi bihar se hui thi jab saikro log narsanhaar dar narsanhaar maare jaa rahe the.tab saare karorpati bihari gaon ko chhor kar patna bhag gaye ki shahar safe hai AUR unke bachche MNC me mumbai. Mai itna hi kahungaa ki hum logo ko yah samajhnaa hoga ki 2 rupayya per head per day kaa naxali chandaa, afeemm ganje ka vyapaar, Nakali noto kaa vyapaar, har woh deshi pistol jiske mool srot par pulice kabhi prahaar nahi karti,hamaare pocket me ane waali har chawanni jo black money hai, Lal Batti gariyo ka misuse ------------- yeh sab ek hi Mumbai k Danav ke alag-alag ang hai.aur once again mujhe mumbai attack par dukh jarur hai lekin ascharya nahi.deshwaasi wahi bharenge naa jo karenge. Vote dete samay yahi deshwaasi bhul jayenge sab baaten aur usi BJP aur Congress me apni Jaat khojenge.

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  5. आपकी कविता में जोश है, ज्वाला है। पढ़कर देशभक्ति जाग उठती है और भुजाएं फड़कने लगती है आतंक के खात्मे के लिए।

    http://manzilaurmukam.blogspot.com/

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  6. pahalee bar yah blog prdha .....
    .....ek hindustanee kee atma ke ghav hain aur aakhiree chand vakyon me maraham bhee hai........jai hind....
    ......eeshvar aapakee kalam ko aur taakat de..........

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  7. arvind,aap ka blog dekha . kuch posts bhi parha .bas lihte rahiye . savad apne aap sthapit hoga. maine bhi apna blog shuru kiya hai . musings
    http://manojenath.blogspot.com/ pahla post hai
    Terrorism As Theatre Of The Absurd .mumbai ka pakt war nahi kar pane kee vivashta par.
    manoje nath

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  8. aatankwadiyon ko pakad kar jyada din bandi banakar rakhne ke bajaay unse raaj ki baatein jaldi ugalwaa kar unko sareaam sooli par latkaa dena chahiye. shayad unke bhayawah ant dekh kar dubaara himmat karne ke pehle 20 baar soche. jyada din bandi banakar rakhne par dubaara kandhar ghatna ki punravritti ho sakti hai.

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