सोमवार, 27 अक्तूबर 2008

सत्य -दीप जन जन में, प्रतिपल जला करे.


ज्ञान का प्रकाश हो,
चित्त का विकास हो ।


दैवी- संपत्ति का
मानव में वास हो ।


स्वाभिमान से सबका
मस्तक उन्नत रहे ।


मन में सात्विक सुख की
धारा बहती रहे ।


द्वेष ना किसी में हो,
प्रेमपूर्ण जन जन हो


मानवता-सेवा में,
अर्पित यह तन- मन हो ।


सत्य -दीप जन जन में,
प्रतिपल जला करे


ईश्वर, मानवता का
सदा ही भला करे।


----अरविंद पाण्डेय


5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ज्यादा अच्छी लगी आपकी यह कविता.

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सत्य -दीप जन जन में,
    प्रतिपल जला करे


    ईश्वर, मानवता का
    सदा ही भला करे।bahut hi badiya aalekh.bahdaai sweekaren.

    जवाब देंहटाएं
  3. सत्य -दीप जन जन में,
    प्रतिपल जला करे


    ईश्वर, मानवता का
    सदा ही भला करे।MANAVTAA KE UTHAAN KE LIYE SANDESH DETI HUI ANOKHI RACHANAA.BADHAAI AAPKO.



    PLEASE VISIT MY BLOG.THANKS.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर मन के भाव हैं ...!!
    बेमिसाल है ये रचना ...!!

    जवाब देंहटाएं

आप यहाँ अपने विचार अंकित कर सकते हैं..
हमें प्रसन्नता होगी...