बुधवार, 13 जुलाई 2011

एक जाति हो, एक धर्म हो , एक हमारा वेश




तब तक ये फटेगें हमारे सीनों पे बारूद.
जब तक न फट पड़ेगें हम शैतान के सर पर.
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करते जो हिफाज़त हैं असल,उन सभी को तुम.
करते हो परेशान मुकदमे चला, चला.
रहवर जो बने हो तो फिर अब करो हिफाज़त .
वर्ना, कहो अवाम से '' नाकाम हम हुए ''
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पूर्व-सूचना देकर दिल्ली में होता विस्फोट
पहुंचाई जा रही देश को अमिट, अकल्पित चोट 


किसी धर्म ने,किसी जाति ने, किया न कभी विरोध ।
फ़िर, अफ़ज़ल के मृत्यु-दंड में है किसका अवरोध ।


भारत के जिस राज चिह्न में लिखा -"सत्य अविजेय"।
उसे पहन भी कई लोग क्यों भूल चुके हैं ध्येय ।


अबल हो रही दंड-नीति का नही जिन्हें है ध्यान ।
काल-पुरूष का न्यायालय लेगा उनका संज्ञान ।


जिसे आज वे समझ रहे हैं इस जीवन का लक्ष्य ।
नही, नही, वह लक्ष्य नही, वह तो है घृणित, अभक्ष्य ।


तुच्छ-स्वार्थ के लिए आज रख रहे परस्पर द्वेष ।
नही ध्यान है कहा जा रहा अपना भारत देश ।


शपथ लिया था देशभक्ति का, गए उसे क्यों भूल ।
क्या सोचा था, जीवन पथ में सदा मिलेंगे फूल ।


कांटो पर चलकर ही करना था पूरा कर्तव्य ।
राष्ट्र-पुरूष के मस्तक पर टीका करना था भव्य ।


करना था उन षड्यंत्रों को पल ही पल में नष्ट।
बना रहीं हैं जो युवजन को अपराधी अतिभ्रष्ट ।


किंतु आज हम सब क्यों है बस अपने में मशगूल ।
कांटो से भयभीत, सिर्फ़ क्यों खोज रहे हैं फूल ।


आज समय है- बने संगठित अपना सारा देश ।
एक जाति हो, एक धर्म हो , एक हमारा वेश ।


---अरविंद पाण्डेय

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7 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक कविता है। अच्छा लगा पढ़ कर
    आशा करता हू कि आगे भी समाज और
    देशभक्ति कि भावना से भडा़ कविता जिससे
    समाज में कुछ जागरुकता बढे़गा पढ़ने को मिलेगा।

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  2. सार्थक कविता है। अच्छा लगा पढ़ कर
    आशा करता हू कि आगे भी समाज और
    देशभक्ति कि भावना से भडा़ कविता जिससे
    समाज में कुछ जागरुकता बढे़गा पढ़ने को मिलेगा

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  3. bahut hi sam-smaik kaviata apne likha hai, aaj ke desh ke halat aur bhrasht netao ke upar bahut hi satik baithta hai ye kavita, vartman sarkar tushtikaran ki niti per chal rahi hai, desh ki chinta nahi hai, desh bhale gart me chala jaye lekin apni kurshi barkarar rahani chahiye yahi aaj ke neta ki policy hai,

    aapki ye kavita nihsandeh logo ko jagruk banayegi, kripy aese jari rakhiye........
    dhanyvad

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  4. padhkar achha laga...............
    print nikal liya hoon taki aur adhik logo ko padha sakoo

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  5. बहुत ही अच्छी श्रेष्ठ वीर रस की कविता , आज तो आपने सबको जगा दिया हैं ,
    "एक जाति हो, एक धर्म हो , एक हमारा वेश"
    सभी लोगो को इस बात को समझना होगा .....जय हिंद !!!!!
    "We hope the government will move beyond reacting from one blast to another and take a clear stand on issues like effective deterrence infrastructure. These blasts are a reminder of the facts that cases like Afzal Guru continue to wait for final action and government dithers from not talking to Pakistan."

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  6. बहुत ही अच्छी श्रेष्ठ वीर रस की कविता , आज तो आपने सबको जगा दिया हैं ,
    "एक जाति हो, एक धर्म हो , एक हमारा वेश"
    सभी लोगो को इस बात को समझना होगा .....जय हिंद !!!!!

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  7. आज समय है- बने संगठित अपना सारा देश ।
    एक जाति हो, एक धर्म हो , एक हमारा वेश ।

    sarthak kavita.

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